Monday 25th of November 2024

2019 में 15 दिनों में कांग्रेस के लिए गेम चेंजर साबित हुए थे हुड्डा, इसबार किसका पलड़ा भारी?

Reported by: PTC News उत्तर प्रदेश Desk  |  Edited by: Raushan Chaudhary  |  September 14th 2024 05:55 PM  |  Updated: September 14th 2024 07:09 PM

2019 में 15 दिनों में कांग्रेस के लिए गेम चेंजर साबित हुए थे हुड्डा, इसबार किसका पलड़ा भारी?

Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है. हरियाणा में 5 अक्टूबर को वोटिंग (Voting) होगी और 8 अक्टूबर को नजीते सामने आएंगे. लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा (Haryana) और जम्मू कश्मीर वो पहले राज्य हैं, जहां विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. इसलिए प्रदेश में लोकसभा चुनाव के नतीजों के ठीक बाद विधानसभा चुनाव की तैयारियां सभी राजनीतिक दलों ने शुरू कर दी थी. हरियाणा में लोकसभा चुनाव में बीजेपी अपने पहले के प्रदर्शन को नहीं दोहरा पाई और 5 सीट ही ला पाई. जबकि कांग्रेस पहले के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन करते हुए 5 सीटें लाने में कामयाब रही. अब इस बार के हरियाणा विधानसभा चुनाव में समीकरण पहले की तुलना में एक दम अलग हैं. लोकसभा चुनाव में जबरदस्त वापसी के बाद पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा जहां एक तरफ गदगद हैं, वहीं बीजेपी नायब सैनी (Nayab Saini) के नेतृत्व में एक बार फिर सत्ता में वापसी के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. पूर्व सीएम मनोहर लाल (Manohar Lal) के दिल्ली जाने के बाद बीजेपी (BJP) के लिए स्थिति पिछली बार की तुलना में अलग है.  साल 2019 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने सरकार ज़रूर बनाई थी लेकिन बहुमत से दूर रह गई थी. जेजेपी (JJP) के साथ गठबंधन करके किसी तरह सरकार चल गई. 

 

2019 में मात्र 15 दिनों में हुड्डा ने दिखाया था कमाल

 

 

हरियाणा में 2019 के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस (Congress) के बीच कड़ा मुकाबला देखा गया था. बीजेपी अकेले दम पर बहुमत नहीं ला सकी और केवल 40 सीटें ही जीत सकी थी. वहीं कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी और 31 सीटें जीतने में सफल रही थी. उस समय राजनीतिक जानकारों ने कहा था कि  कि चुनाव की तैयारी के दौरान ही पूर्व सीएम भूपेन्द्र हुड्डा को हरियाणा में कांग्रेस को चुनाव लड़ाने की कमान सौंपी गई थी. एक मोटे अनुमान के अनुसार चुनाव में काम करने के लिए भूपेन्द्र हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) को शायद 15 दिन से ज्यादा का वक्त नहीं मिला था. बावजूद इसके अपनी पुरानी सियासी जमीन का फायदा उठाते हुए उन्होंने कांग्रेस को सम्मानजनक आंकड़े पर लाकर खड़ा कर दिया था. 2019 विधानसभा चुनाव के दौरान हरियाणा में कांगेस बिना संगठन के ही अपनी मौजूदगी दर्ज करा रही थी. यहां तक की कांग्रेस हाईकमान ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हरियाणा में चेहरा बनाने और कुमारी शैलजा (Kumari Selija) को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का फैसला विधानसभा चुनाव ऐलान से महज़ 15 दिन पहले लिया था. ऐसे में उस वक्त चुनाव में 31 सीट आना भी कांग्रेस के लिए अच्छा ही माना जा रहा था.

       

2024 में भी बीजेपी के लिए कड़ी चुनौती

 

 

लोकसभा चुनाव में वापसी के बाद कांग्रेस जहां कॉन्फिडेंट नज़र आ रही है वहीं इस बार के चुनाव में बीजेपी के लिए कई मुश्किलें हैं. प्रदेश में बीजेपी के लिए मनोहर लाल दस वर्षों तक मुख्यमंत्री रहे, लेकिन बीजेपी अपने खास तेवर की राजनीति के लिए जानी जाती है. चुनाव से पहले या चुनाव के बाद सीएम को बदलने और नए चेहरे को आगे करने में भारतीय जनता पार्टी हमेशा से आगे रही है. उत्तराखंड और मध्यप्रदेश को इस तेवर के उदाहरण के तौर पर देख सकते हैं. इसी तर्ज पर हरियाणा में मनोहर लाल को सीएम पद से हटाकर लोकसभा चुनाव लड़ाया गया और अब वो करनाल से सांसद और केंद्र में कैबिनेट मंत्री हैं. इसके बाद हरियाणा ओबीसी समुदाय से आने वाले नायब सिंह सैनी को हरियाणा की कुर्सी पर बिठा दिया गया और ये राजनीतिक समीकरण और विधानसभा चुनाव को ध्यान में रख कर ही किया गया. अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से आने वाले 53 साल के सैनी, मनोहर लाल खट्टर के करीबी माने जाते हैं. उनकी नियुक्ति को हरियाणा की जाति-केंद्रित राजनीति में गैर-जाट मतदाताओं विशेष रूप से पिछड़े समुदायों को एकजुट करने की बीजेपी की कोशिश के रूप में देखा जा सकता है.

 

हरियाणा में करीब 30 फीसदी ओबीसी परिवार

 

 

हालांकि हरियाणा में जातिगत जनगणना तो नहीं हुई, लेकिन पिछले साल सरकार ने पीपीपी आधार पर वर्ग विशेष को लेकर 72 लाख परिवारों में से 68 लाख के आंकड़े जारी किए थे. पिछले साल परिवार पहचान पत्र स्कीम के तहत सामान्य, एससी, बीसी और बैकवर्ड क्लास के परिवारों के आंकड़े ज़रूर सामने आए हैं. हरियाणा में एससी व बीसी वर्ग की बात करें तो कुल जनसंख्या का ये करीब 51 फीसदी है. पीपीपी के आधार पर प्रदेश की कुल संख्या 2 करोड़ 83 लाख है. बीसी ए वर्ग के लोगों की संख्या 4793312 है जो कुल जनसंख्या का 16.93 फीसदी हैं. इनके अलावा बीसी बी कैटेगरी की संख्या 3797306 है.

 

हरियाणा में किस जाति की कितनी आबादी

समुदाय   आबादी (%)   

जाट      - 25

दलित     - 21

पंजाबी    - 08

ब्राह्मण   - 7.5

अहीर     - 5.14 

वैश्य      - 05

राजपूत    - 3.4

सैनी      - 2.9

मुस्लिम   - 3.8

 

लोकसभा चुनाव ने खड़ी की बीजेपी के लिए मुश्किल

 

 

हरियाणा में बीजेपी को कई मोर्चे पर एक साथ जूझना पड़ रहा है. लोकसभा चुनाव में भी 5 में से 3 सीटों पर बीजेपी की जीत का मार्जिन मामली ही था. विधानसभा के हिसाब से देखें तो लोकसभा चुनाव में बीजेपी केवल 44 सीटों पर सबसे ज्यादा वोट पाई और कांग्रेस 42 सीटों पर वोट लेने में सबसे आगे रही. कई सीटों पर कांग्रेस मामूली अंतर से पिछड़ी. इस लिहाज़ से राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी के लिए राह आसान नहीं दिख रही है.

 

 

चौटाला घराना किसके साथ?

 

हरियाणा में अब तक की चुनावी कवरेज़ में मुख्य मुक़ाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही माना जा रहा है, लेकिन खिलाड़ी और भी हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव में दस सीटे जीतकर किंग मेकर साबित होने वाली दुष्यंत चौटाला (Dushyant Choutala) की जेजेपी जहां चंद्रेशखर आज़ाद की पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही हैं. वहीं 2014 के विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर की पार्टी रही इनेलो मायावती के बीएसपी के साथ मैदान में है. वहीं कांग्रेस के साथ बात नहीं बनने पर आम आदमी पार्टी अकेले चुनावी रण में हैं.

 

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