शिमला: काली बाड़ी मन्दिर के रास्ते में स्थित ऐतिहासिक ग्रैंड होटल का निर्माण 1829 में लार्ड विलियम बैन्टिक गवर्नर जनरल के लिए बैंटिक काउंसिल के रुप में किया गया था। यह भवन कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों का आवास रहने के बाद हेनरी लोरीन्स की सम्पति बना। उसके बाद यह सिमला बैंक के अधिकार में आ गया, जो 1850 से 1857 तक रहा।
जब बैंक बंद हो गया तो यह परिसर न्यू क्लब द्वारा 35,000 रुपय में खरीदा गया। इस क्लब में एक भोजन कक्ष और एक नृत्य कक्ष बनवाया गया। क्लब के रुप में भी जब ये नहीं चला तो यह परिसर वायसरीगल कंफेशनर शेवालेय पेलिटी के द्वारा 1892 में 2 लाख रुपए में खरीद लिया गया।
उन्होंने इसे शिमला का सबसे बड़ा व आलीशान होटल बनवाया। 1922 में होटल में लगी भीषण आग लग गई जिससे भवन पूरी तरह नष्ट हो गया था। 1930 में इसे फिर से बना लिया गया। 1942 में ये शहरी विकास मंत्रालय भारत के अधिकार में आया। 1960 में यह केंद्रीय अवकाश गृह के रूप में बनाया गया। सन 2000 में होटल का जीर्णोद्वार करवाया गया। अब ये बेहतरीन ग्रैंड होटल से जाना जाने वाला केन्द्रीय कर्मचारी अवकाश आवास गृह है।