Friday 22nd of November 2024

Himachal: कैलाश मानसरोवर और अमरनाथ यात्रा से भी कठिन है किन्नर कैलाश की यात्रा, जानिए इसकी वजह

Reported by: पराक्रम चन्द  |  Edited by: Rahul Rana  |  July 08th 2024 03:17 PM  |  Updated: July 08th 2024 03:17 PM

Himachal: कैलाश मानसरोवर और अमरनाथ यात्रा से भी कठिन है किन्नर कैलाश की यात्रा, जानिए इसकी वजह

ब्यूरो: हिमाचल की गगनचुंबी बर्फीली चोटियों में कई विख्यात देव स्थान हैं। जिनका धार्मिक दृष्टि से महत्व है। ऐसा ही एक देव स्थान है, किन्नर कैलाश। किन्नर कैलाश हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में एक पर्वत है। किन्नर कैलाश की ऊंचाई 6050 मीटर है और इसे हिंदू और बौद्ध दोनों द्वारा पवित्र माना जाता है। किन्नर कैलाश हिमाचल के किन्नौर जिले में स्थित है। जहां का शिवलिंग 79 फिट ऊंचा है। इसके आस-पास बर्फीले पहाड़ों की चोटियां हैं। किन्नर कैलाश का प्राकृतिक सौंदर्य मंत्र मुग्ध कर देने वाला है। किन्नर कैलाश में  स्थित शिवलिंग का आकार त्रिशूल जैसा लगता है। किन्नर कैलाश पार्वती कुंड के  नजदीक है।

किन्नर कैलाश की खास बात ये है कि यहां पर स्थित शिवलिंग बार-बार रंग बदलता है। कहा जाता है कि यह शिवलिंग हर पहर में अपना रंग बदलता है।  यहां पर ट्रेकिंग करने का सबसे अच्छा समय मई से अक्टूबर तक होता है। 14 किलोमीटर लंबे इस ट्रेक के आस-पास बर्फीली चोटियां हैं। इस ट्रेक का सबसे पहला पड़ाव तांगलिंग गांव जो सतलुज नदी के किनारे बसा है। यहां से 8 किलोमीटर दूर मलिंग खटा तक ट्रेक करके जाना पड़ता है। इसके बाद 5 किलोमीटर दूर पार्वती कुंड तक जाते हैं। यहां से तकरीबन एक कलोमिटर की दूरी पर किन्नर कैलाश स्थित है। 

किन्नर कैलाश यात्रा को मानसरोवर और अमरनाथ की यात्रा से भी कठिन माना जाता है। यह यात्रा हर साल सवान के महीने में शुरू होती है। यात्रा को पूरा करने के लिए लगभग 2 से 3 दिन लगते है। किन्नर  कैलाश शिवलिंग ट्रैक भगवान शिव के सबसे पुराने निवास स्थान में से एक है। जहां भगवान शिव साक्षात रुप से विराजते हैं। 

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