ब्यूरो: मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला आम बजट लोकसभा में 23 जुलाई को पेश होगा। पूरे देश की निगाहें इस बात पर टिकी है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2024-25 के लिए क्या बड़ी घोषणाएं कर सकती हैं। किसान हो या नौकरीपेशा, हर कोई इस बजट से उम्मीद लगाए बैठा है। नौकरीपेशा लोगों को उम्मीद है कि सरकार बजट के माध्यम से प्रोविडेंट फंड यानी PF के अंतर्गत वेतन सीमा को बढ़ा सकती है।
कब हुआ था आखिरी बदलाव
पीएफ के अंतर्गत वेतन सीमा में आखिरी बार बदलाव एक दशक पहले हुआ था, तब इसकी सीमा को बढ़ाकर 15 हजार रुपये किया गया था। 1 सितंबर 2014 में बदलाव से पहले इसकी सीमा 6,500 रुपये थी।
क्या होता है प्रोविडेंट फंड?
प्रोविडेंट फंड या पीएफ, यह केंद्र सरकार की नौकरीपेशा लोगों के लिए योजना है। इसका मुख्य उद्देश्य नौकरीपेशा लोगों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान कर वित्तीय तौर पर सशक्त बनाना है। अगर किसी कंपनी में 20 या इससे अधिक कर्मचारी हैं, तो उसे एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड (EPF) में रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है।
कैसे काम करता है पीएफ?
ईपीएफ एक्ट के अनुसार यदि किसी कर्मचारी की सैलरी 15 हजार रुपये महीना है तो वे इस स्कीम में शामिल होते हैं। वो कंपनी कर्मचारी की सैलरी से 12 फीसदी हिस्सा काटकर पीएफ खाते में डाल देती है और कंपनी भी फंड में बराबर का योगदान करती है। कर्मचारी की सैलरी का 12 फीसदी हिस्सा पूरी तरह से पीएफ खाते में जाता है जबकि कंपनी के 12 फीसदी के योगदान में से 3.67 फीसदी पैसा पीएफ खाते में जाता है और बचा हुआ 8.33 फीसदी पैसा ईपीएस यानी एंप्लॉयीज पेंशन स्कीम में जाता है।
क्या हो सकती है नई पीएफ सीमा?
पीएफ लिमिट को आखिरी बार सितंबर 2014 में बढ़ाया गया था, तब इसे 6500 रुपये से बढ़ाकर 15000 रुपये किया गया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने पीएफ लिमिट में बदलाव का एक ड्राफ्ट तैयार किया है। इसमें पीएफ लिमिट 15 हजार से बढ़ाकर 25 हजार रुपये किए जाने का सुझाव है। वर्तमान में 15 हजार रुपये से अधिक वेतन वाले कर्मचारियों के लिए पीएफ का विकल्प चुनना स्वैच्छिक है।
अभी कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) में साल 2017 से ही 21 हजार रुपये की उच्च वेतन सीमा है। ऐसे में सभी के बीच सहमति है कि दो सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के अंतर्गत वेतन सीमा समान होनी चाहिए।
पीएफ लिमिट बढ़ने से फायदा
पीएफ के तहत वेतन सीमा बढ़ाने से लाखों कर्मचारियों को फायदा मिलेगा। पीएफ के तहत वेतन सीमा बढ़ने से इसका सीधा असर कर्मचारी के पीएफ अकाउंट और पेंशन खाते पर पड़ेगा, जिससे पीएफ खाते में अधिक रकम जाएगी। इसमें कर्मचारी और कंपनी दोनों का ही योगदान बढ़ेगा। अभी ज्यादातर राज्यों में न्यूनतम मजदूरी 18 हजार से 25 हजार रुपये के बीच है।