ब्यूरोः यूपी में आम चुनाव के मुकाबले के बाद अब विधानसभा उपचुनाव की शक्ल में एक और चुनावी रण होने जा रहा है। जिसकी तैयारियों के लिए सभी दलों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। इस उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए बीजेपी ने भी कमर कस ली है, पार्टी रणनीतिकारों को उम्मीद है कि अगर इस उपचुनाव में नतीजे उनके पक्ष में आए तो फिर लोकसभा चुनाव के नतीजों से मिली टीस से उबरने में मदद मिलेगी और कार्यकर्ताओं का मुरझाया मन फिर खिल सकेगा। पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है कि उसके खुद के खेमे के भीतरी संघर्ष और घमासान के बादल उपचुनाव की तैयारियों पर न छाएं।
मैराथन बैठक के बाद उपचुनाव के लिए सीएम ने 30 मंत्रियों की टीम बनाई
बुधवार को जब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य दिल्ली में रहकर सोशल मीडिया के जरिए मन की बात कहकर सरगर्मी बढाए हुए थे ऐन उसी वक्त लखनऊ में अपने सरकारी आवास पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सूबे में दस विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनाव की तैयारियों के लिए मंथन बैठक करके चुनावी ब्लूप्रिंट तैयार कर रहे थे। इस बैठक के दौरान तय हुआ कि जिन दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं उन पर पार्टी जीत सुनिश्चित करने के लिए तीस मंत्रियों को खास तौर से जिम्मा दिया जा रहा है। इसे उपचुनाव के लिए सीएम की सुपर-30 टीम माना जा रहा है।
मंत्री साधेंगे क्षेत्र के समीकरण और विकास को देंगे रफ्तार
सीएम योगी के निर्देश के बाद अब ये मंत्री अपने संबंधित क्षेत्रों में हफ्ते में दो रातें गुजारेंगे। जातीय समीकरणों के कील कांटे दुरुस्त करेंगे, जनता के बीच रहकर संवाद करेंगे जिससे विरोधी दलों द्वारा फैलाए गए भ्रमजाल को काटने मे मदद मिल सके। सामाजिक-जातीय समीकरणों को साधने के साथ ही जो योजनाएं जनता के लिए हितकर हैं और जिन पर अभी तक काम ने तेजी नहीं पकड़ी है उनके कार्यों को रफ्तार दी जाएगी। बूथ स्तर पर संवाद के तंत्र को और पुख्ता किया जाएगा। बूथ स्तरीय तंत्र की ओवरहालिंग की जाएगी। निष्क्रिय बूथ अध्यक्षों व पदाधिकारियों को बदल दिया जाएगा। दरअसल, जो चूक आम चुनाव के दौरान हुईं उनसे मुकाबले के लिए बीजेपी खेमा हर मुमकिन कोशिश कर रहा है। सीएम ने इस बार किसी भी तरह की कोताही से बचने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं।
मंत्रियों को तीन बिंदुओं पर खासतौर से फोकस करने के निर्देश
आम चुनाव की मात से सबक लेते हुए बीजेपी खेमा इस बार कार्यकर्ताओं के असंतोष को लेकर खासा सतर्क है। सीएम ने खासतौर से हिदायत दी है कि तैनात किए जा रहे मंत्री अपने अपने क्षेत्रो में कार्यकर्ताओं की जरूरतों और उनकी शिकायतों की जानकारी लें, उन कारणों को खंगाला जाए जिससे आम चुनाव के दौरान कार्यकर्ता मायूस और निष्क्रिय रहे थे। जो भी फीडबैक मिले उसके निवारण के लिए त्वरित कार्रवाई की जाए। दूसरा केन्द्र व राज्य की डबल इंजन की सरकारों की योजनाओं को आम जन तक पहुंचाया जाए। तीसरा विपक्ष द्वारा आरक्षण और संविधान को लेकर जो भी नैरेटिव बनाया जाए उसकी काट आक्रामक तरीके से की जाए। आम चुनाव में इस दिशा में पार्टी द्वारा लापरवाही बरती गई जिसका खामियाजा सीटें गंवा कर उठाना पड़ा।
इन दस विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होना है
जिन दस विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं, उनमें शामिल हैं.....गाजियाबाद सदर, मिल्कीपुर, फूलपुर, कटेहरी, मंझवा, मीरापुर, कुंदरकी और खैर सीटें। इनमें से पांच सीटें एनडीए के पास जबकि पांच सीटें समाजवादी पार्टी के पास थीं। करहल, कुंदरकी, कटेहरी, मिल्कीपुर, सीसामऊ समाजवादी पार्टी के खाते की सीटें रही हैं। जबकि गाजियाबाद सदर, फूलपुर और खैर सीटों पर बीजेपी के विधायक थे। मीरापुर सीट पर एनडीए की सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल और मझवां सीट निषाद पार्टी के पास थी।
मीरापुर सीट के लिए कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार राज्य मंत्री सोमेन्द्र तोमर व केपी मलिक को जिम्मा मिला है। कुंदरकी सीट कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह, राज्य मंत्री जेपीएस राठौर, जसवंत सैनी और गुलाब देवी के हवाले है। गाजियाबाद का जिम्मा कैबिनेट मंत्री सुनील शर्मा, राज्य मंत्री ब्रजेश सिंह व कपिलदेव अग्रवाल को सौंपा गया है। खैर में कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी के साथ ही राज्य मंत्री संदीप सिंह मशक्कत करेंगे। करहल में कैबिनेट मंत्री जयवीर सिंह व योगेन्द्र उपाध्याय के साथ ही राज्य मंत्री अजीत पाल सिंह तैनात किए गए हैं।
सीसामऊ सीट पर कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना और राज्य मंत्री नितिन अग्रवाल पार्टी की जीत के लिए जुटेंगे। फूलपुर में कैबिनेट मंत्री राकेश सचान और राज्य मंत्री दयाशंकर सिंह जिम्मा देखेंगे। मिल्कीपुर में कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही के साथ ही राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह, गिरीश चन्द्र यादव और सतीश चन्द्र शर्मा कमान संभालेगें। कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, संजय निषाद और दयाशंकर मिश्र दयालु के जिम्मे कटेहरी सीट रहेगी जबकि मझवां में पार्टी की विजय सुनिश्चित करने का जिम्मा संभालेंगे कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर, आशीष पटेल और राज्य मंत्री रविन्द्र जायसवाल व रामकेश निषाद।
उपचुनाव की तैयारियों वाली टीम से दोनों डिप्टी सीएम के नाम नदारद
गौरतलब है कि केशव प्रसाद मौर्य की तल्खी की खबरें सुर्खियों में हैं ऐसे में चुनावी तैयारियों के लिए बनाई गई टीम में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक के नाम नहीं होने से कयासों के दौर तेज हो गए हैं। विपक्ष को भी तंज कसने का मौका मिल गया है। सपा मुखिया अखिलेश यादव प्रेस वार्ता में कह चुके हैं कि बीजेपी खेमों में विभाजित हो गई है, वह अंदरूनी झगड़ों में फंसती जा रही है।
बहरहाल, आम चुनाव के कुछ वक्त बाद ही होने वाले उपचुनाव बीजेपी के लिए खासे अहम हैं। यूं तो इसके नतीजों का सरकार के बहुमत से कोई लेनादेना नहीं है लेकिन ये नतीजे दूरगामी प्रभाव वाले कई बड़े संदेश और संकेत लेकर जरूर आएंगे। बीजेपी सरकार और संगठन के लिए ये लिटमस टेस्ट सरीखी इस चुनावी चुनौती को लेकर पार्टी रणनीतिकार खासे सतर्क हैं, किसी भी चूक से बचना चाहते हैं। हालांकि पार्टी की आपसी खींचतान की छाया से ये चुनाव और उसकी तैयारियां मुक्त रह सकें ये सुनिश्चित करना बीजेपी आलाकमान की बड़ी व कड़ी चुनौती है।