ब्यूरोः 22 जुलाई से कांवड़ यात्रा की शुरुआत होने जा रही है। शिवभक्त हरिद्वार की हर की पोड़ी से गंगाजल उठाकर मुजफ्फरनगर से होते हुए अपने-अपने गंतव्य की तरफ जाएंगे। इससे पहले मुजफ्फरनगर पुलिस ने निर्देश दिया है कि कांवड़ रूट पर पड़ने वाली सभी दुकानों के मालिक अपनी-अपनी दुकानों के मालिक या फिर काम करने वाले के नामों का खुलासा जरूर करें। ताकि कावंड़ियों के बीच किसी प्रकार का कोई भ्रम ना हो। इसके बाद फल विक्रेताओं और खाने-पीने का सामान बेचने वालों ने अपने नाम लिखकर रेहड़ी के आगे टांग लिए हैं। कांवड़ यात्रा का 240 किमी. लंबा रूट मुजफ्फरनगर में पड़ता है।
उत्तर प्रदेश पुलिस के आदेश के अनुसार अब हर खाने वाली दुकान या ठेले के मालिक को अपना नाम बोर्ड पर लगाना होगा ताकि कोई कांवड़िया गलती से मुसलमान की दुकान से कुछ न खरीद ले। इसे दक्षिण अफ्रीका में अपारथाइड कहा जाता था और हिटलर की जर्मनी में इसका नाम 'Judenboycott' था। https://t.co/lgvCf2HoQE
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) July 17, 2024
फैसले पर भड़के ओवैसी
इस फैसले के बाद AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर निशाना साधा है। असदुद्दीन ओवैसी ट्वीट कर इसकी तुलना दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेद और जर्मनी में हिटलर की तानाशाही से की है। उन्होंने एक्स पर लिखा कि दक्षिण अफ्रीका में इसे रंगभेद कहा जाता था और जर्मनी में इसे जूडेनबॉयकॉट कहा जाता था।
प्रशासन ने जारी किए थे आदेश
शिव भक्त कांवड़ यात्रा के दौरान हरिद्वार से गंगाजल उठाकर मुजफ्फरनगर से होते हुए अपने-अपने गंतव्य की ओर जाते हैं। उत्तर प्रदेश का मुजफ्फरनगर इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस जिले से होकर कांवड़िए देश के अलग-अलग राज्यों में जाते हैं। मुजफ्फरनगर के एसएसपी अभिषेक सिंह ने बताया कि सभी खाने-पीने का सामान बेचने वालों को यह निर्देश दिया गया था ताकि कांवड़ियों के मन में कोई भ्रम ना हो और कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब ना हो। मुजफ्फरनगर पुलिस के निर्देश के बाद किसी ने आरिफ आम वाला तो किसी ने गुप्ता ज्यूस वाला जैसे नाम वाले बोर्ड टांग दिए हैं।
हालांकि मुजफ्फरनगर पुलिस की ओर से कहा गया है कि यह फैसला किसी भी तरह के धार्मिक भेदभाव को दर्शाने के लिए नहीं, बल्कि कांवड़ यात्रा शांतिपूर्ण ढंग से पूरी हो जाए इसलिए लिया गया है।