Thursday 19th of September 2024

महाकुंभ-2025: नमामि गंगे मिशन ने 211.08 करोड़ रुपये की तीन परियोजनाओं को दी मंज़ूरी

Reported by: Gyanendra Shukla  |  Edited by: Deepak Kumar  |  July 09th 2024 06:04 PM  |  Updated: July 09th 2024 06:05 PM

महाकुंभ-2025: नमामि गंगे मिशन ने 211.08 करोड़ रुपये की तीन परियोजनाओं को दी मंज़ूरी

ब्यूरो: योगी सरकार 2025 महाकुंभ को दिव्य-भव्य बनाने में जुटी है। इसके क्लियर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद समय-समय पर सभी विभागों के कार्यों की जानकारी ले रहे हैं। वहीं नमामि गंगे मिशन ने प्रयागराज महाकुंभ के मद्देनज़र स्वच्छता संबंधित बुनियादी ढांचों के निर्माण के लिए कुल तीन परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है, इसकी लागत 211.08 करोड़ रुपये है। वहीं, उत्तर प्रदेश के देवबंद में इंटरसेप्शन एंड डायवर्जन और एसटीपी कार्यों के लिए 134.71 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी गई। जबकि लखनऊ के बरिकला में स्थित एसटीपी की क्षमता को बढ़ाने के लिए 27.02 करोड़ रुपये की मंज़ूरी दी गई है। यह निर्णय राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के कार्यकारी समिति की 55वीं बैठक में लिया गया। बैठक की अध्यक्षता महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल ने की। 

54400 से अधिक शौचालय बनाये जाएंगे

योगी सरकार का महाकुंभ में स्वच्छता पर विशेष जोर है। इस मद्देनजर प्रयागराज में महाकुंभ 2025 के लिए स्वच्छता संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 152.37 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इस परियोजना के अंतर्गत 54,400 शौचालय- मूत्रालय तथा एक प्राथमिक ठोस अपशिष्ट संग्रह प्रणाली का निर्माण किया जाएगा। इसका उद्देश्य अस्थायी स्वच्छता सुविधाओं का निर्माण कर महाकुंभ में आने वाले तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए पर्याप्त सुविधाएं देने के साथ ही आयोजन के दौरान स्वच्छता और नदी के जल की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करना है।

प्रयागराज से निकलने वाले 22 नालों को टैप करने के लिए 55.57 करोड़

महाकुंभ के दौरान प्रयागराज से निकलने वाले 22 नालों को पूरी तरह से टैप करने के लिए 55.57 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी गई है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य इन नालों से निकलने वाले सीवेज को रोककर उसको पूरी तरह ट्रीट करना है, ताकि महाकुंभ के दौरान गंगा और यमुना नदी की अविरलता और निर्मलता सुनिश्चित की जा सके। महाकुंभ 2025 के दौरान सीवरेज इंफ्रास्ट्रक्चर और नदी के पानी की गुणवत्ता पर अस्थायी आबादी के प्रभाव का मानचित्रण करने और नदियों के किनारे भविष्य में होने वाले ऐसे सामूहिक आयोजनों के लिए बेहतर रणनीति विकसित करने के लिए 3.14 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली आईपीएसए-कुंभ (IPSA-Kumbh)  परियोजना को मंज़ूरी दी गई है। यह परियोजना महाकुंभ के दौरान सीवेज बुनियादी ढांचे की निगरानी और प्रबंधन के लिए रिमोट सेंसिंग और जीआईएस प्रौद्योगिकियों का उपयोग करेगी, जिससे गंगा नदी के पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सकेगी। यह वैज्ञानिक अध्ययन नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत आईआईटी रुड़की, आईआईटी-बीएचयू, टेरी और होक्काइडो विश्वविद्यालय सहित प्रमुख संस्थानों के एक संघ द्वारा किया जाएगा। 

देवबंद में 134.71 करोड़ की परियोजना को मंजूरी

 उत्तर प्रदेश के देवबंद में इंटरसेप्शन एंड डायवर्जन और एसटीपी कार्यों के लिए 134.71 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी गई। इस परियोजना का उद्देश्य स्थानीय जल निकायों के प्रदूषण तथा सीवेज को रोकने और मोड़ने के उपायों का निर्माण और कार्यान्वयन करके सीवेज इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाना है। जबकि, लखनऊ के बारीकला में 1 एमएलडी एसटीपी की क्षमता को बढ़ाकर 3.5 एमएलडी क्षमता के निर्माण के लिए 27.02 करोड़ रुपये की मंज़ूरी दी गई है। ताकि सीवेज के बढ़ते प्रवाह को ट्रीट करके मौजूदा सीवेज ट्रीटमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर को मज़बूत बनाया जा सके।  

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन यह सुनिश्चित करने के लिए अथक प्रयास कर रहा है कि तीर्थयात्रियों को इस पवित्र स्थल पर गंगा स्वच्छ मिले, जिसमें सीवेज का पानी न बहे। भारत सरकार राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के माध्यम से न केवल उन्हें एक स्वच्छ और अनुकूल पवित्र स्थल प्रदान कर रही है, बल्कि नदी के किनारे रहने वाले सभी निवासियों के व्यापक हित में काम कर रही है। केले में ग्लाइसेमिक इंडेक्स ज्यादा है। इससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है। ऐसे में डायबिटीज के मरीजों को परेशानी हो सकती है।

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