मीडिया सेल की सुस्ती पड़ी भारी, संविधान-आरक्षण से जुड़े विपक्षी नैरेटिव का धारदार मुकाबला करने से चूकी BJP
Gyanendra Shukla, Editor, UP: 28 अगस्त, 2023: लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में बीजेपी की आईटी व सोशल मीडिया टीम की प्रदेश स्तरीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने टिप्स देते हुए आगाह किया था कि विपक्ष चुनाव में नकारात्मक सूचनाओं के जरिए वोटरों को भ्रमित कर सकता है, उन्होंने सत्य, तथ्य और कथ्य के आधार पर विपक्षी दुष्प्रचार के मुंहतोड़ जवाब देने का आवाहन किया था।
22 मार्च 2024: अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में सोशल मीडिया कार्यशाला में प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और लोकसभा चुनाव प्रबंधन समिति के प्रदेश संयोजक व जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह ने आशंका जताई थी कि विपक्ष कि नकारात्मक नेैरेटिव क्रिएट करने का प्रयास करेगा, तथ्यों के आधार पर इसके मुकाबले की बात कह गई थी।
हालिया संपन्न आम चुनाव की तैयारियों के दौरान हुई इन दो बैठकों में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा दिए गए उद्बोधन पर गौर करें, तो जाहिर हो जाता है कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को विपक्ष द्वारा तैयार किए जा रहे नैरेटिव के बाबत आशंका था, इसलिए किसी भी तरह के नकारात्मक व भ्रामक नैरेटिव से मुकाबले के लिए कमर कसने की अपील की जा रही थी।
चुनाव के दौरान ये आशंका हुई सच साबित
18वीं लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान विपक्ष ने और खासतौर से I.N.D.IA. गठबंधन ने आक्रामक तरीके से संविधान बदलने, आरक्षण खत्म कर देने का मुद्दा उछाला। एक बेहद सुनियोजित व सटीक रणनीति के तहत वोटरों के बीच इस नैरेटिव को प्रचारित किया गया कि अगर बीजेपी सत्ता में आ गई तो सब बदल जाएगा, संविधान हटेगा-आरक्षण खत्म हो जाएगा। हालांकि यूपी में पहले चरण के चुनाव से ही ये चर्चा जोर पकड़ने लगी थी कि विपक्ष का नैरेटिव सही है या गलत ये तय भले ही न हो पर इसका असर जरूर होने लगा है।
विपक्षी नैरेटिव का हुआ व्यापक असर, एनडीए को हुआ यूपी में भारी नुकसान
इस विपक्षी नैरेटिव का उत्तर प्रदेश सरीखे बेहद संवेदनशील अहम सूबे में जबरदस्त असर हुआ। 2019 में 62 सीटें जीतने वाली बीजेपी महज 33 सीटों तक जा सिमटी। भगवा दल का वोट शेयर यूपी में 49.6 फीसदी से फिसलता हुआ 41.4 फीसदी पर जा पहुंचा। बीते दिनों खुद केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा था कि चुनाव में विपक्ष ने साम, दाम, दंड, भेद हर हथियार का इस्तेमाल किया। उन्होंने झूठ बोलकर गलत नैरेटिव सेट करने का प्रयास किया. कभी आरक्षण, कभी संविधान और कभी लोकतंत्र को लेकर झूठी अफवाह फैलाने का काम किया. लोग उनकी बातों में आ भी गए. यही कारण है कि यूपी में एनडीए ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया।
फीडबैक लेने के लिए पार्टी की कवायद लगातार जारी
वज्रपात सरीखे अप्रत्याशित चुनावी नतीजों के बाद बीजेपी में पिछड़ने की वजहों को लेकर चिंतन-मंथन के दौर युद्धस्तर पर शुरू हो चुके हैं। यूपी में हारी हुई सभी लोकसभा सीटों पर स्पेशल टीम के बीजेपी अपनी रिपोर्ट तैयार करवा चुकी है। यह रिपोर्ट केंद्रीय मुख्यालय को भेजी जा चुकी है। इस रिपोर्ट में प्रदेश में बुरी तरह पिछड़ने की तमाम वजहों को ब्यौरा बिंदुवार तैयार किया गया है। इस रिपोर्ट को तैयार करने के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन (महामंत्री) बीएल संतोष लखनऊ के दौरे पर पहुंचे। क्षेत्रीय अध्यक्षों के साथ क्षेत्रीय प्रभारियों और प्रदेश पदाधिकारियों संग बैठक की। पार्टी के अनुसूचित जाति से संबंधित कई नेताओं संग चर्चा में यही मुद्दा सामने आया कि इस बार लोकसभा चुनाव में संविधान बदलने, आरक्षण समाप्त का जो भ्रम विपक्ष के नेताओं ने फैलाया वह सबसे ज्यादा नुकसान करने वाला रहा।
बीजेपी के पास प्रदेश स्तरीय मीडिया सेल सहित राज्यव्यापी मजबूत टीम है
किसी भी तरह के विपक्षी नैरेटिव का प्रतिउत्तर देने के लिए बीजेपी के पास मीडिया टीम का भारीभरकम अमला मौजूद है। दरअसल, संगठनात्मक दृष्टि से बीजेपी के यूपी में छह क्षेत्र हैं.... पश्चिमी, बृज, कानपुर, अवध, गोरखपुर और काशी क्षेत्र। इनमें से सभी क्षेत्रों से संबंधित जिलों और लोकसभा क्षेत्रों में मीडिया प्रभारी, सहप्रभारी की भारीभरकम टीम मौजूद हैं। इसके अलावा प्रदेश स्तर पर पार्टी के पास अनुभवी प्रवक्ताओं की टीम है। स्वतंत्रदेव सिंह के प्रदेश अध्यक्ष रहने के दौरान गठित ये टीम भूपेन्द्र चौधरी के दौर में भी संचालित है। प्रदेश स्तरीय टीम में शामिल प्रवक्ता हैं, हरीश चंद्र श्रीवास्तव, समीर सिंह, मनीष शुक्ला, हीरो बाजपेई, आलोक अवस्थी, अशोक पांडे, जुगल किशोर, अनिला सिंह, राकेश त्रिपाठी, प्रशांत वशिष्ठ, संजय चौधरी, आनंद दुबे, साक्षी दिवाकर, आलोक वर्मा और महामेघा नागर। मनीष दीक्षित मीडिया प्रभारी हैं जबकि प्रियंका पांडे, अभय सिंह, धर्मेंद्र राय और हिमांशु दुबे प्रदेश सह मीडिया प्रभारी हैं।
बीजेपी की प्रदेश मीडिया सेल में ही संवाद-सामंजस्य की कमी उभरी
सवाल उठता है कि जब बीजेपी के पास मीडिया सेल के तौर पर इतनी बड़ी फौज है, पार्टी के प्रदेश व केंद्रीय नेतृत्व को विपक्षी नैरेटिव की भनक थी। जिसके बारे में स्पष्ट तौर से आशंका जताई जा चुकी थी, पदाधिकारी-कार्यकर्ताओं को आगाह किया जा रहा था। फिर चूक कहां हुई। तो इसका जवाब छिपा है बीजेपी की प्रदेश मीडिया सेल की कार्यप्रणाली में। पार्टी संगठन जुड़े एक जिम्मेदार नेता ने नाम न बताने की शर्त के साथ कहा कि विपक्षी नैरेटिव का तीखा प्रतिकार करने की आवश्यकता थी पर प्रवक्ताओं की भारीभरकम फौज को इसमें जुटाया ही नहीं सका। एक जानकारी उन्होंने हैरान करने वाली दी कि बीजेपी के प्रवक्ताओं की कोई नियमित बैठक अरसे से न हो सकी। यहां तक कि दैनिक बैठकों का भी सिलसिला भी थम गया था। धारदार शैली में जवाब देने वाले प्रवक्ताओं की टीम तक पर्याप्त दिशा-निर्देश पहुंच नहीं सके। मीडिया सेल में पारस्परिक संवाद की जबरदस्त कमी नजर आई। लिहाजा जिस तीव्रता के साथ विपक्ष को जवाब देना था वैसा हो ही न सका। जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा। हालांकि पार्टी मीडिया सेल प्रभारी मनीष दीक्षित बातचीत में कहते हैं कि रूटीन बैठकें अक्सर होती रही हैं, जब भी बीएल संतोष लखनऊ आए तब तब बैठक हुईं। पर पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि अक्टूबर, 2022 में बीजेपी की तत्कालीन राष्ट्रीय महामंत्री डी पुरंदेश्वरी के तीन दिवसीय लखनऊ दौरे पर मीडिया टीम के साथ महत्वपूर्ण बैठक हुई थी फिर इतनी उच्चस्तरीय और व्यापक मंथन का सिलसिला न हो सका।
पार्टी की मीडिया सेल के कील कांटे दुरुस्त करने की मुहिम शुरू हुई
रविवार को बीएल संतोष की बीजेपी के प्रदेश स्तरीय प्रवक्ताओं संग अहम बैठक हुई। पार्टी सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में केंद्रीय पदाधिकारी ने प्रवक्ताओं को फ्रंटलाइन वर्कर्स बताते हुए उनसे आगामी चुनौतियों के लिए जुटने के लिए कहा। ये भी कहा कि आम चुनाव नतीजे साल 2017, 2019 या फिर 2022 सरीखे नहीं है लिहाजा चुनौतियां कठिन हैं। उन्होंने आगाह किया कि विपक्ष अब अधिक आक्रामक तेवरों में रहेगा तो मीडिया के सवालों की धार भी तीखी रहेगी पर संयत होकर पूरे तथ्यों के साथ धारदार-जोरदार व प्रभावी तरीके से जवाब देने की जरूरत है। जल्द ही माहौल बदलेगा और परिस्थितियां पार्टी के अनुकूल हो सकेंगी।
प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में भी पार्टीगत खामियों पर चर्चा के आसार
बीजेपी के लिए अब दस विधानसभा सीटों पर होने वाले आगामी उपचुनाव बड़ी सियासी चुनौती के तौर पर मौजूद हैं। पार्टी इस उपचुनाव में जीत की बड़ी लकीर खींचने की रणनीति पर फोकस कर रही है। इसके तहत जहां जिताऊ प्रत्याशी खोजे जा रहे हैं वहीं, संगठन स्तर पर मौजूद खामियों को दूर करके नए सिरे से चुनावी मुकाबला करने की तैयारी की जा रही है। बीजेपी पुरोधा पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेई की पंक्तियों..."अँधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा" पर भरोसा करते हुए पार्टी रणनीतिकारों को भरोसा है कि हालिया शिकस्त क्षणिक होगी, फिर से बीजेपी की उम्मीदों का कमल खिलेगा।