Thursday 5th of December 2024

UP: हाथरस में हादसा या साजिश?, बेतहाशा भीड़, दलदली जमीन-गड्ढों और बदइंतजामी से हुआ मौत का तांडव

Reported by: Gyanendra Shukla  |  Edited by: Rahul Rana  |  July 03rd 2024 01:03 PM  |  Updated: July 03rd 2024 01:13 PM

UP: हाथरस में हादसा या साजिश?, बेतहाशा भीड़, दलदली जमीन-गड्ढों और बदइंतजामी से हुआ मौत का तांडव

ब्यूरो: Gyanendra Shukla, Editor: UP: अपने और अपनों की बेहतरी की आस लेकर आस्था की डगर पर निकले सैकड़ों लोगों को बदइंतजामी-लापरवाही का अजगर निगल गया, दर्जनों बेगुनाहों ने मौके पर जान गंवा दी, जो जिंदगी और मौत की जंग लड़ते अस्पताल तक पहुंचाए गए उन्हें वहां की बदइंतजामी ने मौत के घाट उतार दिया। सत्संग के लिए निकले तकरीबन सवा सौ लोगों की मृत देह घर वापस पहुंची।

बेतहाशा भीड़, दलदली जमीन-गड्ढों और बदइंतजामी से हुआ मौत का तांडव

हाथरस के सिकंदराराऊ में एटा हाईवे के किनारे फुलरई गांव में हो रहे सत्संग में भीड़ तो सुबह से ही जुटने लगी थी। उमस, अव्यवस्था के बीच दोपहर साढ़े बारह  बजे शुरू हुए सत्संग के बाद बाबा नारायण साकार हरि के पौने दो  बजे के करीब रवाना होने के बाद से ही भीड़ बेकाबू होना शुरू हो गई। चश्मदीदों के मुताबिक कई लोग बाबा के पैर छूने और चरण धूल लेने के लिए दौड़ पड़े। कुछ लोग पास में ही  बनी पार्किंग की ओर बढ़ने लगे। सेवादार लोगों को आगे बढ़ने से रोक रहे थे। निकासी का रास्ता बहुत कम चौड़ा था। भीड़ बढ़ी तो बड़ी संख्या में लोग आसपास की दलदली जमीन में धंसने लगे। इस बीच शुरू हुई धक्का मुक्की और अफरातफरी के बाद भगदड़ मचने लगी। फिर तो लोग फिसलन के कारण जमीन पर गिरने लगे। जिनमें अधिकतर महिलाएं और बच्चे थे। पीछे से आ रही हजारों की भीड़ इन गिरे हुए लोगों को कुचलते हुए आगे भागती गई। जिसे जैसे मौका मिला निकल भागने में जुट गया। इस बेकाबू भीड़ को रोकने वाला कोई नहीं था। कुचलकर-दबकर कई लोगों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया, कई गड्ढे और दलदल में फंस गए। घायल और बेहोश हुए लोगों को एंबुलेंस, ट्रक व कारों से अस्पताल ले जाया गया। अस्पतालों में बदइंतजामी पसरी हुई थी। ट्रामा सेंटर और सीएचसी पर जनरेटर चलाने की जरूरत हुई तो पता चला कि उसमें तेल ही नहीं था। चोटिल लोगों की तादाद सैकड़ों में थी पर इलाज करने वाला मेडिकल स्टाफ कम था त्वरित इलाज नहीं मिला तो कई लोगों की सांसें थम गईं। 

विगत वर्षों में भी यूपी में भीड़ व भगदड़ से हो चुके हैं गंभीर हादसे

यूपी की राजधानी लखनऊ में साल 2004 की 12 अप्रैल को चुनाव के दौरान महानगर इलाके में दिग्गज बीजेपी नेता रहे लालजी टंडन के आयोजन में साड़ी बांटने के दौरान हुई भगदड़ में 22 महिलाओं ने दम तोड़ दिया था। 4 मार्च, 2010 को प्रतापगढ़ जिले के मनगढ़ में कृपालु महाराज द्वारा दान देने के दौरान भगदड़ मची, गेट टूटा और 63 लोगों की मौत हो गई। 9 अक्टूबर, 2016 को बीएसपी सुप्रीमो मायावती की रैली में इको गार्डन में हुई भगदड़ में तीन महिलाओं की मौत हो गई थी जबकि दो दर्जन से अधिक लोग बुरी तरह घायल हुए थे। देश में तो बीते कुछ ही वर्षों में ऐसे गंभीर हादसों में सैकड़ों इंसानी जिंदगियां मौत के हवाले हो चुकी हैं। व्यवस्थाओं में हुई इन भयंकर चूकों के बावजूद जिम्मेदार तंत्र कोई सबक नहीं सीखा, नतीजा हाथरस की हृदय विदारक घटना घट गई।

इन दस सवालों का जवाब पीटीसी न्यूज जिम्मेदार तंत्र से पूछ रहा है

1--जिला प्रशासन के मुताबिक अस्सी हजार की भीड़ के लिहाज से अनुमति दी गई थी, तो क्या आयोजन स्थल पर एंट्री-एग्जिट के रास्तों, आपातकालीन इंतजाम किए गए थे, अगर नहीं तो इस आपराधिक लापरवाही का कसूरवार कौन है?

2- आठ बजे सत्संग शुरू हुआ, भीड़ बढ़ती जा रही थी, क्या मौके पर मौजूद पुलिस-प्रशासनिक अफसरों ने आला अफसरों को इसके बाबत इत्तिला नहीं दी, अगर जानकारी दी थी तो फिर भीड़ नियंत्रण के क्या प्रयास किए गए?

3--पुलिस महकमे की लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (एलआईयू) की जिम्मेदारी होती है संबंधित जिले में कहीं भी सामान्य से अधिक जुटान होने की जानकारी रखना और उसे उच्च स्तर तक पहुंचाना, क्यों एलआईयू के जिम्मेदार सवा लाख लोगों के जुटान की भनक न पा सके?

4---आयोजन स्थल के इर्द गिर्द की जमीन दलदली थी, गड्ढे थे। एक आठ फिट का गड्ढा था जिसमें बरसाती पानी जमा था, इसी में कई बच्चे-वृद्ध जा गिरे, अमूमन किसी वीआईपी के आगमन के दौरान ऐसे स्थलों को या तो बदल  दिया जाता है या फिर आवाजाही के दौरान खास एतिहात बरते जाते हैं, तो फिर यहां हजारों की भीड़ जुटने पर इसके बाबत क्यों ध्यान नहीं दिया गया?

5--घटना के बाद इर्द गिर्द के ग्रामीण मौके पर भागकर पहुंचे, पर मौजूद सेवादारों ने उनसे बदसलूकी की और घायलों को मदद पहुंचाने में जानबूझकर देरी की, इन क्रूर सेवादारों को मौके पर मौजूद पुलिस व प्रशासनिक अफसरों ने क्यों नहीं डपटा, क्यों नहीं टोका,  क्यों इन्हें नहीं रोका गया?

6--- हाथरस सिकंदराराऊ में ट्रामा सेंटर में डॉक्टर, स्टाफ और ऑक्सीजन तक नहीं थी। कराहते हुए घायल उपचार न मिलने से दम तोड़ते रहे। इलाज के लिए जिला अस्पताल और सीएचसी ले जाए गए घायलों को समय पर इलाज मिल जाता तो उनकी जान बच सकती थी, पर संसाधनों व मेडिकल स्टाफ की कमी ने कहर ढा दिया, जिम्मेदार कौन?

7---हाथरस डीएम आशीष कुमार घटना के बाद मौके पर पहुंच गए लेकिन हाथरस से डॉक्टर और मेडिकल स्टॉफ दो घंटे तक नहीं पहुंचा, आपात स्थिति से जूझने के लिए क्या जिले के सीएमओ का कोई प्लान था ही नहीं?

8--यूपी में विगत दो दशकों में भगदड़ की घटनाओं में तीन दर्जन से अधिक मौतें हो चुकी हैं, इन घटनाओं से सबक लेकर पर्याप्त कदम समय रहते क्यों नहीं उठाए गए?

9-जिस स्वयंभू धर्मगुरु भोले बाबा नारायण सरकार विश्व हरि के आयोजन में इतना बड़ा हादसा हुआ, उस पर कोविड के समय भी तय सीमा से अधिक भीड़ जुटाने का आरोप लगा, मुकदमा भी दर्ज हुआ, कानून तोड़ने वाले इस शख्स के खिलाफ पहले कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

10--नवीनतम भारतीय न्याय संहिता के तहत दर्ज मुकदमे में मुख्य सेवादार वेद प्रकाश मधुकर समेत अन्य अज्ञात आयोजकों, सेवादारों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। पर इस एफआईआर में प्रवचन देने वाले बाबा का नाम गायब है, क्या सियासी-चुनावी समीकरणों के चलते इस स्वयंभू बाबा पर मेहरबानी की गई? 

अब उच्चस्तरीय जांच कराए जाने- मुआवजे के ऐलान का सिलसिला शुरु हो चुका है। मुमकिन है कि कुछ कमजोर गर्दन जल्द नाप भी दी जाएंगी। बीते तमाम मामलों के मानिंद जांच के बाबत मिली सिफारिशें फाइलों में धूल फांकती नजर आएंगी। इस बड़े हादसे की यादें जनता के जेहन से जल्द ही धुंधली हो जाएगी।  फिर भविष्य में किसी बड़े हादसे के इंतजार में सब कुछ पुराने ढर्रे पर चल निकलेगा।

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