ब्यूरो: Gyanendra Shukla, Editor, UP: यूपी की नौकरशाही से जुड़ी दो खबरों पर गौर करें। 1995 बैच के आईएएस मोहम्मद मुस्तफा ने वीआरएस यानि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया है जबकि आईएएस की नौकरी से इस्तीफा देकर फिल्मी दुनिया और सियासी जगत में सक्रिय होने वाले अभिषेक सिंह ने नौकरी में वापसी की गुहार लगाई है। सूबे में नौकरशाहों के नौकरी से मोहभंग होने या फिर अफसरशाही से वापस नाता जोड़ लेने के सिलसिले पुराने हैं।
आधा दर्जन से अधिक आईएएस अफसर नौकरी से किनारा कर चुके हैं
बीते दो वर्षों में आधा दर्जन आईएएस अफसर नौकरी से वीआरएस ले चुके हैं। इस फेहरिस्त में 1987 बैच की आईएएस रेणुका कुमार, 1988 बैच की जुथिका पाटणकर और 2003 बैच के विकास गोठलवाल शामिल हैं तो पिछले साल 2003 बैच के आईएएस रिग्जियान सैंफिल और 2008 बैच के आईएएस विद्या भूषण ने भी वीआरएस के लिए आवेदन किया था। इनके आवेदन स्वीकार हो चुके हैं। ताजा तरीन मामला 1995 बैच के आईएएस मोहम्मद मुस्तफा का है। जो साल 2020 में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस यूपी आए थे। श्रम विभाग में कमिश्नर बनाए गए। फिर सितंबर, 2021 में प्रमुख सचिव सार्वजनिक उद्यम के पद पर तैनाती दी गई और बीते तीन वर्षों से इसी पद पर तैनात हैं। साल 2005 बैच के आईएएस जी श्रीनिवासुलु भी वीआरएस का आवेदन भेज चुके हैं। वित्त विभाग व राजस्व विभाग में विशेष सचिव के पद पर तैनात रह चुके हैँ। साल 2016 से 2020 तक इंटर कैडर डेप्यूटेशन में आंध्र-प्रदेश में भी रहे। इस वक्त सचिव कार्यक्रम एवं कार्यान्वयन विभाग के पद पर आसीन हैं।
सीएम योगी के चहेते अफसर वीआरएस लेकर राज्य निर्वाचन आयुक्त बन गए
साल 1983 बैच के आईएएस अफसर राजप्रताप सिंह विद्युत नियामक आयोग में चेयरमैन, विश्व बैंक में सलाहकार के अलावा अटल बिहारी वाजपेई के कार्यकाल में पीएमओ में कार्य कर चुके थे। सीएम योगी के पसंदीदा अफसर माने जाने वाले राजप्रताप सिंह यूपी में एपीसी, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा, एसीएस खनन सरीखे अहम पदों पर तैनात रहे थे। पर एकाएक इनका भी नौकरी से मोहभंग हो गया और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन कर दिया, जिसे यूपी सरकार ने 30 जून, 2018 को मंजूर कर लिया। इसी साल 6 मार्च को इन्हें राज्य निर्वाचन आयुक्त के अहम पद पर नियुक्ति मिल गई।
आईएएस से इस्तीफा देकर फिल्म व सियासत की पारी फिर वापसी की तैयारी
साल 2011 बैच के आईएएस अफसर अभिषेक सिंह का मामला बेहद दिलचस्प है। इनकी पत्नी दुर्गा शक्ति नागपाल साल 2008 बैच की आईएएस अफसर हैं। इन दिनों बांदा डीएम के पद पर तैनात हैं। ये अपनी गतिविधियों से शुरू से ही चर्चित रहे। साल 2020 में इन्होंने मशहूर गायक बी प्राक के जरिए ग्लैमर जगत में कदम रखा। अभिषेक सिंह ने जुबिन नौटियाल के एलबम, वेब सीरीज दिल्ली क्राइम सीजन-2, शॉर्ट मूवी चार पंद्रह, सिंगर हार्डी संधू के गाने के साथ ही सनी लियोनी के साथ भी गाने में अभिनय किया। दो साल पूर्व इन्हें गुजरात विधानसभा चुनाव में बतौर प्रेक्षक भेजा गया था। पर एक फोटो वायरल होने के बाद इन्हें निर्वाचन आयोग ने ड्यूटी से हटा दिया बादमें इनके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की गई। अक्टूबर, 2023 में इन्होंने आईएएस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया। लोकसभा चुनाव से पूर्व इनकी सक्रियता जौनपुर में खासी बढ़ गई थी। अपने क्षेत्र की जनता के लिए अयोध्या तक मुफ्त बस यात्रा के इनके ऐलान ने सबका ध्यान खींचा था। तो जौनपुर में इनके द्वारा आयोजित सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजन किए गए जिसमें कई चर्चित चेहरे हिस्सा लेते थे। ऐसे ही एक आयोजन में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी के पहुंचने से अभिषेक सिंह के बीजेपी से चुनाव लड़ने की अटकलों ने जोर पकड़ा। पर ये योजना परवान न चढ़ सकी तो अभिषेक सिंह ने नौकरी में वापसी के लिए प्रयास शुरू कर दिए। फिलहाल इनकी नौकरी में बहाली की संभावना बेहद कम हो चुकी है इस संबंध में केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DOPT)को फैसला लेना है। कश्मीर के शाह फैसल की तर्ज पर नौकरी में वापसी की उम्मीद पाले अभिषेक सिंह के लिए राह आसान नहीं है।
पहले भी कई अफसर नौकरी से दे चुके हैं इस्तीफा
यूपी कैडर के 1993 बैच के आईएएस राजीव अग्रवाल सेवा के दौरान मुजफ्फरनगर के डीएम से लेकर लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के पद पर तैनात रहे। पर इन्होंने आईएएस की नौकरी छोड़कर कारपोरेट जगत ज्वाइन कर लिया। पहले उबर कंपनी में पब्लिक पॉलिसी हेड बने फिर फेसबुक का भारत में पब्लिक पॉलिसी निदेशक का दायित्व निभाया। आईपीएस अफसर असीम अरुण नौकरी छोड़कर विधायक बने, मौजूदा वक्त में योगी सरकार में समाज कल्याण मंत्री हैं। प्रवर्तन निदेशालय में डिप्टी डायरेक्टर रहे राजेश्वर सिंह नौकरी छोड़कर बीजेपी विधायक बन गए। यूपी के ऊर्जा मंत्री ए के शर्मा गुजरात कैडर के आईएएस की कुर्सी छोड़कर अपने गृह प्रदेश आए और राजनीति में सक्रिय हो गए।
प्रतिष्ठित नौकरी से मोहभंग के पीछे के फैक्टर
एक आईएएस अफसर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि कभी ‘स्टीलफ्रेम’ मानी जाने वाली आईएएस सेवा में बदलते वक्त में भुरभुरापन आ गया है। राजनीतिक झुकाव और संपर्क के जरिए ही प्राईम पोस्टिंग मिलने के चलन ने भी कई युवा अफसरों को मायूस किया है। समाजशास्त्री डा. विश्वनाथ मिश्रा कहते हैं कि, “पूर्व में सिविल सेवाओं का समाज में खासा महत्व हुआ करता था, पर बाद में सियासी दबाव के चलते युवा अफसर विचलित होने लगे। कई अफसरों को महसूस होने लगा कि जितनी मेहनत यहां करते हैं इसके अपेक्षाकृत कम प्रयास में मल्टीनेशनल कंपनियों में अधिक पैकेज और अधिक लिबर्टी हासिल हो सकती है। जिस तरह से आईएएस अफसरों में वीआरएस लेने का चलन बढ़ रहा है इसे लेकर जिम्मेदारों को अवश्य विचार करना चाहिए।”
वीआरएस आवेदन से लेकर मंजूरी मिलने तक की है लंबी प्रक्रिया
यूपी कैडर में आईएएस कैडर के 621 पद हैं। जिनमे से 433 सीधी भर्ती के अफसर हैं। इन सीधी भर्ती वाले अफसरों में ही कई अफसर वीआरएस लेने की कतार में हैं। नियुक्ति विभाग के नियमों के मुताबिक वीआरएस आवेदन करने के बाद मंजूरी मिलने में चार महीने या अधिक का समय लग जाता है। इसके लिए संबंधित अफसर के बावत कई विभागों से एनओसी मांगी जाती है। सारी क्लीयरेंस के मिलने के ही बाद केंद्र सरकार का डीओपीटी वीआरएस के बाबत हरी झंडी देता है।