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UP: सपा गठबंधन के साथ चुनाव लड़ना कांग्रेस के लिए फायदेमंद हुआ साबित, इन सीटों पर दशकों के इंतजार के बाद मिली सफलता

Written by  Rahul Rana   |  June 16th 2024 01:56 PM  |  Updated: June 16th 2024 01:56 PM

UP: सपा गठबंधन के साथ चुनाव लड़ना कांग्रेस के लिए फायदेमंद हुआ साबित, इन सीटों पर दशकों के इंतजार के बाद मिली सफलता

ब्यूरो: Gyanendra Shukla, Editor, UP: हालिया संपन्न हुए संसदीय चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करने की कांग्रेस की रणनीति सफल रही, फर्श पर पहुंच चुकी पार्टी ने अर्श की ओर उड़ान भर दी। वोट शेयर से लेकर सीटों में भी जबरदस्त इजाफा हुआ। जिन सीटों को पार्टी जीत नहीं सकी वहां  भी पार्टी का वोट शेयर साल 2019 के आम चुनाव के मुकाबले कई गुना बढ़ गया है। इस सफलता से उत्साहित कांग्रेसी खेमा अब अगले चुनावी लक्ष्य हासिल करने के रोडमैप को तैयार करने में जुट गया है।  

बीते तीन दशकों से ज्यादा वक्त से यूपी में जमीन गंवाती जा रही थी कांग्रेस

साल 1989 से यूपी की सत्ता से बेदखल हो चुकी थी कांग्रेस पार्टी। मंडल और मंदिर की सियासत के गरमाने के बाद पार्टी का वोट बैंक छिटकता चला गया नतीजतन पार्टी लगातार कमजोर होती गई। साल 1999 में यूपी में कांग्रेस के दस सांसद चुने गए। तो साल 2004 में पार्टी के 9 सांसद जीते। केंद्र की सत्ता में वापसी के बाद पार्टी के लिए यूपी में कुछ उम्मीद जगी जब साल 2009 में पार्टी के 21 सांसद चुने गए। हालांकि इस दौर में सूबे में विधायकों की तादाद 22 से 29 के बीच ही सिमटी रही। साल 2014 में पार्टी को सिर्फ रायबरेली और अमेठी सीटें ही मिल सकीं। तो साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 29 से घटकर 7 पहुंच गई। साल 2019 के आम चुनाव में सिर्फ सोनिया गांधी ही अपनी संसदीय सीट रायबरेली बचा सकी थीं। इसके तीन साल बाद साल 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के महज दो विधायक ही चुने जा सके।

साल 2024 यूपी में कांग्रेसी पंजे की मजबूती का संदेश लेकर आया

बीते चुनाव दर चुनाव कांग्रेस का यूपी में प्रदर्शन बिगड़ता चला गया था। साल 2014 में पार्टी का वोट शेयर 7.53 फीसदी हो गया। जिसमें साल 2019 के चुनाव में और गिरावट हुई और ये वोटशेयर 6.36 फीसदी जा पहुंचा। लेकिन साल 2024 में इस वोट शेयर में उछाल आया और कांग्रेस का वोट शेयर 9.46 फीसदी पर पहुंच गया। पार्टी के खाते में छह संसदीय सीटें दर्ज हो गईं। जिन 11 सीटों पर पार्टी दूसरे पायदान पर रही उन पर भी कांग्रेस का वोट शेयर बीते चुनाव की तुलना में चालीस फीसदी तक बढ़ गया।

सपा गठबंधन के साथ चुनाव लड़ना कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हुआ

इस बार के आम चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठजोड़ के तहत कांग्रेस को 17 सीटें मिली थीं, जिसमें रायबरेली, अमेठी, प्रयागराज, सीतापुर, सहारनपुर और बाराबंकी में पार्टी को कामयाबी मिल गई। पार्टी ने रायबरेली की सीट पर दबदबा कायम रखा जबकि अमेठी में बीते आम चुनाव की तुलना में 11.03 फीसदी की बढ़त पाकर केएल शर्मा ने 54.99 फीसदी वोट हासिल कर लिए। वाराणसी में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भले जीत न सके हों लेकिन उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ते हुए 40.74 फीसदी वोट हासिल करके ताकतवर चुनौती पेश की।  जबकि काशी में बीजेपी 9.38 फीसदी की गिरावट के साथ 54.24 फीसदी वोटों पर जा पहुंची।

इन सीटों पर दशकों के इंतजार के बाद कांग्रेस को मिली सफलता

प्रयागराज सीट पर साल 1984 में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर अमिताभ बच्चन सांसद चुने गए थे। पर उनके इस्तीफे के बाद से इस सीट पर चार दशकों से कांग्रेस जीत को तरस रही थी। यहां सपा से कांग्रेस में आए उज्जवल रमण सिंह ने बीते आम चुनाव की तुलना  45 फीसदी की बढ़त लेकर 48.80 फीसदी वोट हासिल किए और कांग्रेस को जीत दिलवाई।  सहारनपुर में भी 40 साल बाद कांग्रेस को जीत मिली। यहां पार्टी प्रत्याशी इमरान मसूद ने बीते आम चुनाव की तुलना में 27.76 फीसदी बढ़त पाकर 44.57 फीसदी वोटशेयर हासिल किया। सीतापुर में कांग्रेस 35 वर्षों बाद जीती। कभी बीजेपी विधायक रहे राकेश राठौर बतौर कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव जीतने में कामयाब रहे।

कांग्रेस की आगामी चुनावी रणनीति पर अमल शुरू किया जाएगा

कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय के नेतृत्व में प्रदेश मुख्यालय पर समीक्षा बैठक की शुरुआत हो चुकी है। पार्टी की ओर से यूपी की सभी 80 संसदीय सीटों पर बूथ स्तर पर मजबूती का लक्ष्य तय किया जा रहा है। इसके तहत अब 1.59 लाख बूथ एजेंट बनाए जाएंगे। पार्टी सूत्रों के मुताबिक इनमें से 55 हजार बूथ एजेंटों के सत्यापन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। पार्टी के वॉर रूम के सदस्यों की सक्रियता भी बढ़ाई जाएगी।

पार्टी में जीत-हार से जुड़े समीक्षा के दौर शुरु हो चुके हैं

आगामी दिनों में जिन दस रिक्त हुई विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें से जो सीटें बीजेपी के खाते में थीं उन पर पार्टी अपना दावा प्रस्तुत कर सकती है। ये उपचुनाव भी  कांग्रेसी खेमा एक बड़ी चुनौती के तौर पर मानकर चल रहा है। हारी हुई सीटों पर जरूरी आकलन किए जा रहे हैं। बूथ पर मिले कम वोट के कारणों के बारे में कमेटी के सदस्यों से जानकारी लेने की तैयारी है। साथ ही संबंधित बूथ जीतने की रणनीति के बारे में रायशुमारी भी की जानी है। विधानसभा क्षेत्रवार मिले वोट के आधार पर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। जल्द ही फीडबैक तैयार करके आलाकमान को पहुंचाया जाएगा। इसके आधार पर भविष्य का रोडमैप तय होगा। पार्टी अब अपने कार्यकर्ताओं के बढ़े मनोबल को गतिशील बनाते हुए जीत के नए कीर्तिमान स्थापित करने की दिशा में बढ़ने की तैयारी मे है। 

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