Thursday 21st of November 2024

UP: यूपी STF पर आरोप, हकीकत या सियासत, जानें पूरी सच्चाई

Reported by: Gyanendra Shukla  |  Edited by: Rahul Rana  |  September 20th 2024 01:00 PM  |  Updated: September 20th 2024 08:17 PM

UP: यूपी STF पर आरोप, हकीकत या सियासत, जानें पूरी सच्चाई

ब्यूरो: आज से छब्बीस वर्ष पूर्व यूपी की जिस फोर्स का गठन एक दुर्दांत माफिया से निपटने के लिए किया गया था उस फोर्स ने आतंक का पर्याय बने कई खूंखार बदमाशों को ढेर किया तो कई पेशेवर अपराधियों को धर दबोचा। पर इन दिनों यूपी पुलिस की ये यूनिट सियासी आरोपों के बादलों से घिरी नजर आ रही है। सपा मुखिया अखिलेश यादव द्वारा आरोप लगाए जाने के बाद इस फोर्स को लेकर सियासी बहस सरगर्म हो गई है। इस खास रिपोर्ट में एसटीएफ पर लग रहे आरोपों और उनकी हकीकत और मकसद को विस्तार से समझते हैं।

 एक माफिया से निपटने के लिए बनी स्पेशल फोर्स ने कई दुर्दांत किए ढेर

 हम बात कर रहे हैं एसटीएफ यानि स्पेशल टॉस्क फोर्स की। जिसका गठन 4 मई, 1998 को खौफ का सबब बने माफिया श्रीप्रकाश पर नकेल कसने के लिए किया गया था। आरोप थे कि ये माफिया तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह को मारने का कुचक्र रच रहा है। यूपी पुलिस के बेहतरीन अफसरों को शामिल करके बनी इस पुलिस यूनिट ने सर्विलांस तकनीक और मुखबिरों के व्यापक नेटवर्क का इस्तेमाल करके 21 सितंबर 1998 को श्रीप्रकाश शुक्ला को एनकाउंटर में मार गिराया। इसके बाद से तो इस स्पेशल फोर्स ने ठोकिया, ददुआ, निर्भर गुर्जर, रज्जन गुर्जर सहित सैकड़ों डाकूओं और अपराधियों का खात्मा कर दिया। कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतारने वाला विकास दूबे भी इसी फोर्स के साथ हुए एनकाउंटर में मारा गया। माफिया अतीक के बेटे असद को मार गिराया।

 

सुल्तानपुर ज्वैलर डकैती कांड के लुटेरे के एनकाउंटर के बाद सियासत गरमाई

 बीते 28 अगस्त को सुल्तानपुर नगर कोतवाली में भरत ज्वैलर्स के यहां दिनदहाड़े लूट की वारदात को अंजाम दिया गया। इस केस का सीसीटीवी फुटेज सामने आया, जिसकी पड़ताल के दौरान कई आरोपी पुलिस की निगाह में आ गए। इसके बाद हुए पुलिस एक्शन मे तीन आरोपी सचिन सिंह, पुष्पेंद्र और त्रिभुवन घायल हो गए। लूटकांड के एक आरोपी मंगेश यादव को यूपी एसटीएफ की टीम ने मार गिराया। बस यहीं से मामले से सियासत भी जुड़ गई। अखिलेश यादव ने मंगेश यादव एनकाउँटर पर सवाल उठाए, विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव को भेजकर मंगेश यादव के परिजनो को आर्थिक मदद की। इसके बाद से ही सपा मुखिया ने एसटीएफ पर निशाना साधना शुरू कर दिया।

 अपराधियो को निशाने पर लेने वाली एसटीएफ पर अखिलेश यादव ने निशाना साधा

 योगी सरकार के बुलडोजर एक्शन के खिलाफ पहले से ही तल्ख रहे  अखिलेश यादव ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा बुलडोजर एक्शन पर आए फैसले के बाद फिर से योगी सरकार की नीति पर सवाल उठाए, एनकाउंटर को लेकर सरकार को घेरना शुरू किया। उन्होंने पहले एसटीएफ को ‘स्पेशल ठाकुर फोर्स’ की संज्ञा से नवाजा, कहा कि यह सरकार भेदभाव कर रही है। कहा कि सुल्तानपुर कांड में मुख्य आरोपी विपिन सिंह पर अधिक केस हैं, वह सरेंडर कर देता है। पर एसटीएफ मंगेश यादव को दो सितंबर को उठाती है और 5 सितंबर को एनकाउंटर कर देते हैं। बाद में सपा नेता ने एसटीएफ को ‘सरेआम ठोको फोर्स’ की उपाधि भी दी। कहा कि ये तथाकथित ‘विशेष कार्य बल’ (विकाब) कुछ बलशाली कृपा-प्राप्त कलोगों का ‘व्यक्तिगत बल’ बन गया है।

 सपा सुप्रीमो ने जातीय आंकड़ों के जरिए यूपी एसटीएफ पर भेदभाव के आरोप मढ़े

 कन्नौज सांसद अखिलेश यादव ने एक डेटा पेश करके दावा किया कि पीडीए (पिछड़-दलित-अल्पसंख्यक) से एसटीएफ में महज दो जबकि अन्य जातियों से 21 अधिकारी हैं। सपा मुखिया ने एक्स पर लिखा कि जो जनसंख्या में 10% हैं, उनको 90% तैनाती व जो जनसंख्या में 90% हैं, उनकी तैनाती 10% । इसका मतलब ये है कि इस बल के इस्तेमाल करने का कोई तो खास मकसद है, जिसकी वजह से ऐसी तैनाती हुई है। उन्होंने आगे लिखा, ‘विशेष कार्य बल’ (विकाब) के बारे में यूं भी कहा जा सकता है : बलशालियों द्वारा, बलशालियों के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए लेकिन निर्बलों के ख़िलाफ़, देखिएगा कि इस आंकड़े के सामने आते ही, कैसे अपना मुंह  बचाने के लिए शासन-प्रशासन के स्तर पर कॉस्मैटिक उपचार होगा और कुछ उपेक्षित लोगों को दिखावटी पोस्टिंग दी तो जाएगी, लेकिन ‘विशेष प्रयोजन की पूर्ति’ के समय, कोई भी बहाना बनाया जाएगा पर साथ नहीं ले जाया जाएगा। ‘विकाब’ वाले विकास कैसे कर सकते हैं? उप्र के लिए ‘विकाब’ विकार है।”

 एसटीएफ पर लगे जातीय भेदभाव की हकीकत आंकड़ों के नजरिए से

 मौजूदा वक्त में यूपी एसटीएफ में तीन आईपीएस, 18 पीपीएस अफसरों की तैनाती है। इनमें से दस क्षत्रिय, तीन ब्राह्रण, तीन यादव, एक कायस्थ, एक भूमिहार, एक गुर्जर और एक मुस्लिम बिरादरी का अफसर है।

एसटीएफ चीफ अमिताभ यश क्षत्रिय हैं। जबकि डीआईजी कुलदीप नारायण यादव हैं जबकि एसपी घुले सुशील ओबीसी बिरादरी से हैं। एडिशनल एसपी के तौर पर दिनेश कुमार सिंह, विशाल विक्रम सिंह, विनोद कुमार सिंह, ब्रजेश कुमार सिंह, लाल प्रताप सिंह क्षत्रिय हैं, राजकुमार मिश्रा ब्राह्मण, अमित कुमार नागर गुर्जर और अब्दुल कादिर मुस्लिम हैं। इनके अलावा राकेश यादव और सत्यसेन यादव भी हैं। डिप्टी एसपी के पद पर तैनात विमल कुमार, धर्मेश शाही, शैलेष प्रताप सिंह, दीपक कुमार सिंह क्षत्रिय हैं। दो ब्राह्णण संजीव दीक्षित और प्रमेश कुमार शुक्ला हैं। नवेंदु कुमार नवीन भूमिहार हैं। अवनीश्वर चंद्र श्रीवास्तव कायस्थ हैं। जाहिर सपा के पीडीए मापदंड के नजरिए से दो नहीं बल्कि छह अफसर हैं।

अखिलेश द्वारा एसटीएफ पर गंभीर आरोप लगाने के पीछे का मकसद

 गौरतलब है कि 2024 के आम चुनाव में पीडीए यानि पिछड़ा-दलित और अल्पसंख्यक मुद्दे को उठाना समाजवादी पार्टी के लिए खासा मुफीद रहा। यूपी में 37 सीटों पर जीत दर्ज करके सपा सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी। सियासी विश्लेषक मानते हैं कि अब चाहें दस विधानसभी सीटों के उपचुनाव हों या फिर साल 2027 के यूपी के विधानसभा चुनाव, सपाई खेमा फिर से पीडीए मुद्दे को धार देकर इसे सियासत के केंद्रबिंदु में रखना चाहता है। योगीराज में पुलिसिया एनकाउंटर में मारे गए 207 लोगों में से सर्वाधिक तादाद पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक की है। लिहाजा एसटीएफ पर निशाना साधकर आरोप मढ़कर अखिलेश पीडीए उत्पीड़न को मुद्दा बना रहे हैं। नैरेटिव गढ़ना चाहते हैं कि सामंती तत्व निर्बल व पिछड़ों पर ज्यादती कर रहे हैं, सख्ती बरत रहे हैं।

 एसटीएफ को घेरने की सपा की मुहिम को लेकर बीजेपी ने अपनाया आक्रामक रुख

 बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने पीटीसी न्यूज उत्तर प्रदेश से बात करते हुए कहते हैं कि समाजवादी पार्टी जातिवादी राजनीति ही करती आई है। हर मुद्दे को जातिवाद के चश्मे से देखना उसकी मूल प्रवृत्ति है। जिस एसटीएफ ने संगठित अपराधियों के नेटवर्क को नेस्तनाबूद करके आम लोगों के जानमाल की हिफाजत की उस पर घिनौना आरोप लगाना निंदनीय है। जनता अभी तक नहीं भूली है कि सपाई शासन के दौरान किस तरह से अपराधियों के हौसले बुलंद थे, पुलिस पर भी हमला करने से अराजक तत्व नहीं चूकते थे। अब योगी सरकार में कानून व्यवस्था का राज कायम किया गया है, जनता भयमुक्त है तब सपा कुंठित महसूस कर रही है। इसलिए कुत्सित आरोप लगाने के षड्यंत्रो का सहारा ले रही है।

पूर्व डीजीपी और राज्यसभा सांसद ने एसटीएफ पर तोहमत लगाने की निंदा की

 यूपी के तेजतर्रार पूर्व डीजीपी और बीजेपी के राज्यसभा सदस्य बृजलाल ने अखिलेश यादव के आरोपों की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने एसटीएफ पर बेहद भद्दी टिप्पणी की है। कहा कि, आप जातिवाद से उभर नहीं सकते हैं. आप हमारी पुलिस संस्थाएं हैं उस पर भी जातिवाद ढूढ़ते हैं। जबकि एसटीएफ ने दुर्दांत हत्यारे श्रीप्रकाश शुक्ला, उसके साथी अनुज सिंह और साथी सुधीर त्रिपाठी का सफाया चार महीनें में किया था। बृजलाल ने तल्ख लहजे में कहा कि चंबल गैंग का निर्भय गुर्जर जो टीवी पर कहता था कि आपके चाचा को और बड़े नेताओं को चांदी का मुकुट पहनाता था, उसका इलेक्शन में इस्तेमाल होता था। अपहरण की इंडस्ट्री चलती थी। उसी चंबल क्षेत्र में चंदन यादव, अरविंद गुर्जर, राजवीर गुर्जर, रज्जन गुर्जर, बबली ,सलीम गुर्जर और ददुआ का सफाया हो गया। एसटीएफ ने मुख्तार अंसारी के शूटर मोनू सहित अन्य गुर्गों का मुंबई में जाकर सफाया किया। ददुआ जब फरार था तब सपा ने उसके भाई बाल कुमार को मिर्जापुर से सांसद बनाया था। उन्होंने सपा पर आरोप लगाया कि जितने बड़े डकैत थे उनको आप लोग का समर्थन था और आप लोग ही उनका इस्तेमाल करते थे। सांसद ने कहा कि, एसटीएफ वो संस्था यूनिट है जिसका पूरे देश में नाम है, इसे राष्ट्रपति से 81 वीरता पुरस्कार मिले हैं।

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