Thursday 21st of November 2024

UP: सात साल में करीब 46 फीसद घटीं पराली जलाने की घटनाएं, योगी सरकार की सख्ती रही कामयाब

Reported by: PTC News उत्तर प्रदेश Desk  |  Edited by: Rahul Rana  |  October 02nd 2024 03:14 PM  |  Updated: October 02nd 2024 03:14 PM

UP: सात साल में करीब 46 फीसद घटीं पराली जलाने की घटनाएं, योगी सरकार की सख्ती रही कामयाब

ब्यूरो: पराली जलाने को लेकर योगी सरकार की सख्ती और प्रोत्साहन की नीति कामयाब रही। दरअसल, योगी सरकार किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान और जलाने की बजाय उनकी कम्पोस्टिंग करने या सीड ड्रिल से पराली के बीच ही बिना जोते ही गेहूं बोने से होने वाले लाभ को समझाने में सफल रही।

 इस नीति की वजह से सात वर्षों में पराली जलाने की घटनाओं में करीब 46 फीसद की कमी आई है। 2017 में पराली जलाने की 8784 घटनाएं हुई थीं। 2023 में ये घटकर 3996 हो गईं। किसानों को जागरूक करने का यह सिलसिला इस सीजन में भी जारी है। साथ ही सरकार पराली की खेत में ही कम्पोस्टिंग के लिए 7.5 बायो डी कंपोजर भी उपलब्ध करवा रही है। एक बोतल डी कंपोजर से एक एकड़ खेत की पराली की कम्पोस्टिंग की जा सकती है। मालूम हो कि पराली जलाने पर 15 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है।

पराली जलाने के दुष्प्रभाव

अगर आप कटाई के बाद धान की पराली जलाने की सोच रहे हैं तो रुकिए और सोचिए। आप सिर्फ खेत नहीं उसके साथ अपनी किस्मत खाक करने जा रहे हैं। क्योंकि, पराली के साथ फसल के लिए सर्वाधिक जरूरी पोषक तत्व नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश (एनपीके) के साथ अरबों की संख्या में भूमि के मित्र बैक्टीरिया और फफूंद भी जल जाते हैं।

पराली में छिपा है पोषक तत्वों का खजाना

शोधों से साबित हुआ है कि बचे डंठलों में एनपीके की मात्रा क्रमश: 0.5, 0.6 और 1.5 फीसद होती है। जलाने की बजाय अगर खेत में ही इनकी कम्पोस्टिंग कर दी जाय तो मिट्टी को यह खाद उपलब्ध हो जाएगी। इससे अगली फसल में करीब 25 फीसद उर्वरकों की बचत से खेती की लागत में इतनी ही कमी आएगी और लाभ इतना ही बढ़ जाएगा। भूमि के कार्बनिक तत्वों, बैक्टिरिया फफूंद का बचना, पर्यावरण संरक्षण और ग्लोबल वार्मिग में कमी बोनस होगा। गोरखपुर एनवायरमेंटल एक्शन ग्रुप के एक अध्ययन के अनुसार प्रति एकड़ डंठल जलाने पर पोषक तत्वों के अलावा 400 किग्रा उपयोगी कार्बन, प्रतिग्राम मिट्टी में मौजूद 10-40 करोड़ बैक्टीरिया और 1-2 लाख फफूंद जल जाते हैं।

अन्य लाभ

फसल अवशेष से ढकी मिट्टी का तापमान नम होने से इसमें सूक्ष्मजीवों की सक्रियता बढ़ जाती है,जो अगली फसल के लिए सूक्ष्म पोषक तत्व मुहैया कराते हैं। इतना ही नहीं, अवशेष से ढकी मिट्टी की नमी संरक्षित रहने से भूमि के जल धारण की क्षमता भी बढ़ती है। इससे सिंचाई में कम पानी लगने से इसकी लागत घटती है। साथ ही दुर्लभ जल भी बचता है।

विकल्प

डंठल जलाने की बजाय उसे गहरी जोताई कर खेत में पलट कर सिंचाई कर दें। शीघ्र सड़न के लिए सिंचाई के पहले प्रति एकड़ 5 किग्रा यूरिया का छिड़काव कर सकते हैं। इसके लिए कल्चर भी उपलब्ध है।

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