Thursday 5th of December 2024

UP: चहेते नौकरशाहों को मिलते सेवा विस्तार से उठते गंभीर सवाल.....

Reported by: PTC News उत्तर प्रदेश Desk  |  Edited by: Rahul Rana  |  July 01st 2024 10:17 AM  |  Updated: July 01st 2024 10:17 AM

UP: चहेते नौकरशाहों को मिलते सेवा विस्तार से उठते गंभीर सवाल.....

ब्यूरो: Gyanendra Shukla, Editor: UP: बीते रविवार को यूपी की नौकरशाही के गलियारे में खासी हलचल रही। निर्वतमान मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा को चौथी बार सेवा विस्तार न मिलने की खबर सुर्खियों में रही, पर एक अफसर ने छठी बार सेवा विस्तार पाने में कामयाबी हासिल कर ली। ये हैं यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी के सीईओ डॉ अरुण वीर सिंह, जिन्हें छठा सेवा विस्तार मिला है। हालांकि सत्ताशीर्ष के चहेते अफसरों को सेवा विस्तार देने का यूपी सहित कई सूबों में चलन  रहा है। पर इसकी वजह से सीनियरिटी की फेहरिस्त में आने वाले कई दूसरे अफसर मौका पाने से वंचित रह जाते हैं, मन मसोस कर रह जाते हैं। लिहाजा सेवा विस्तार का मामला कई सवाल भी खड़े कर देता है।    

अरुणवीर सिंह को लगातार सेवा विस्तार के पीछे की वजह

सिद्धार्थनगर निवासी अरुणवीर सिंह उत्तर प्रदेश लोक सेवा (पीसीएस) के प्रशासनिक अधिकारी थे। साल 2006 में ये प्रमोशन पाकर आईएएस अधिकारी बने थे। 30 जून 2019 को सेवानिवृत्त हो गए थे। बीते साल 31 दिसंबर को इन्हें पांचवी बार सेवा विस्तार दिया गया। इनकी नियुक्ति 30 जून, 2024 तक की ही थी। एकबारगी फिर इनके सेवा विस्तार पर मुहर लग गई और इन्हें छठी बार सेवा विस्तार हासिल हो गया। सीएम योगी के बेहद भरोसेमंद इस आईएएस अफसर को यूपी के एयरपोर्ट मैन के तौर पर भी जाना जाता है। योगी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नोएडा इंटरनेशनल जेवर हवाई अड्डे और 1000 एकड़ में बनने वाले ड्रीम प्रोजेक्ट फिल्म सिटी की जिम्मेदारी भी इन्हीं के पास है।

सबसे लंबी प्रतिनियुक्ति अवधि का रिकॉर्ड है इस आईएएस अफसर के नाम

 साल 2005 बैच के सिक्किम कैडर के आईएएस आंजनेय सिंह भी लंबी प्रतिनियुक्ति का रिकॉर्ड कायम कर चुके हैं। मुरादाबाद के मंडलायुक्त पद पर तैनात आंजनेय सिंह फरवरी 2019 से मार्च 2021 तक रामपुर के डीएम के तौर पर भी काम कर चुके हैं। यूपी के मऊ जिले के मूल निवासी हैं। रामपुर में सपा नेता आजम खान के खिलाफ कार्रवाई को लेकर ये चर्चा में आए थे। 16 फरवरी 2015 में अखिलेश यादव के शासनकाल में यूपी में डेप्युटेशन यानि प्रतिनियुक्ति पर आए थे। इनकी यूपी में प्रतिनियुक्ति पांच वर्ष के लिए थी। इन्हें एक-एक वर्ष करके तीन बार एक्सटेंशन मिला। प्रतिनियुक्ति अवधि 14 फरवरी 2023 को पूरी होने के बाद आंजनेय सिंह अवकाश पर चले गए थे। इस बीच राज्य सरकार ने आंजनेय सिंह की प्रतिनियुक्ति एक साल के लिए बढ़ाने के केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा, जिसे केंद्र ने मंजूर कर लिया था। फरवरी 2024 में प्रतिनियुक्ति मियाद पूरी होने पर फिर केंद्र सरकार ने राज्य सरकार की सिफारिश पर आंजनेय की प्रतिनियुक्ति सितंबर, 2024 तक छह माह के लिए बढ़ा दी।

आंजनेय सिंह की प्रतिनियुक्ति का मामला कोर्ट तक पहुंचा

 इसी वर्ष 18 मार्च को अनुज कुमार गर्ग ने दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करके आंजनेय सिंह की यूपी में प्रतिनियुक्ति और चार बार हुए सेवा विस्तार को अवैध बताते हुए इसे अखिल भारतीय सेवा नियम और भारतीय प्रशासनिक सेवा संवर्ग नियम के प्रावधानों के भी खिलाफ बताया था। हालांकि कार्यवाहक चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की बेंच ने अपने आदेश में कहा यह स्थापित कानून है कि जनहित याचिका सेवा मामलों में सुनवाई योग्य नहीं है और केवल गैर-नियुक्त व्यक्ति ही नियुक्ति की वैधता पर हमला कर सकते हैं। 23 अप्रैल को जनहित याचिका को खारिज कर दिया था।

 देश में इस अफसर के नाम है सर्वाधिक सेवा विस्तार का रिकॉर्ड

 यूं तो रिटायर होने के बाद एक वर्ष से अधिक वक्त तक मुख्य सचिव की कुर्सी पर तैनात रहने का रिकार्ड यूपी के निवर्तमान मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा के नाम है पर देश की नौकरशाही में सर्वाधिक 11 बार सेवा विस्तार का रिकॉर्ड दर्ज है गुजरात कैडर के आईएएस कैलाशनाथन के नाम। जो साल 2009 में नरेंद्र मोदी के गुजरात शासनकाल में प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री नियुक्त हुए थे। साल 2013 में रिटायर होने के बाद 11 बार इन्हे सेवा विस्तार मिला। मोदी के अलावा आनंदी बेन पटेल, विजय रुपाणी और भूपेंद्र पटेल के साथ इन्होंने काम किया। अब जाकर इनका विदाई समारोह हो पाया है।

केंद्र के नौकरशाह भी सेवा विस्तार पाने का रिकॉर्ड कायम कर चुके हैं

केंद्र में दो शीर्षस्थ नौकरशाह भी सेवा विस्तार के मामले में रिकार्ड कायम कर चुके हैं। इनमें शामिल हैं कैबिनेट सचिव राजीव गौबा और केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला। मोदी सरकार के संकटमोचक माने जाने इन अफसरों का  विस्तारित कार्यकाल अगस्त, 2024 तक का है। कैबिनेट सचिव के पद पर सबसे लंबी सेवा का रिकॉर्ड बना दिया है राजीव गौबा ने। हालांकि ईडी के पूर्व निदेशक संजय मिश्रा को सेवा विस्तार देने का मामला विवादों से घिर गया था। ये मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा था।

 यूपी में सपा के शासनकाल में भी सेवानिवृत्त अफसर पाए थे तैनाती

 अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहने के दौरान शंभू सिंह यादव को सचिव बनाया गया था जबकि 31 मार्च 2013 को उनका कार्यकाल खत्म हो चुका था। 30 नवंबर 2014 को सेवानिवृत्त होने के बाद भी एस ए रघुवंशी सतर्कता सचिव के पद पर तैनात थे। तो 31 जुलाई 2012 को रिटायर हुए अजय अग्रवाल वित्त सचिव बने हुए थे। 31 जनवरी, 2015 को सेवा समाप्त होने के बाद मुकेश मित्तल को सेवा विस्तार मिल गया। तो 31 मार्च 2015 को कार्यकाल पूरा होने के बाद भी प्रभात मित्तल सचिवालय प्रशासन के पद पर तैनात कर दिए गए। 

 सेवानिवृत्त के बाद भी अफसरो को तैनाती देने का मामला भी पहुंचा था कोर्ट में

 राज्य सरकार द्वारा चहेते आईएएस अफसरों का सेवा कार्यकाल खत्म होने के बाद भी महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती देने का मामला अखिलेश यादव के शासनकाल में गरमाया था। स्थानीय पत्रकार जेएन शुक्ला ने जनहित याचिका दायर करते हुए कहा था कि सरकार चहेते आईएएस अफसरों को उपकृत कर रही है,  पदों के योग्य बाकी अफसर अपनी बारी की बाट जोहते रह जाते हैं। सरकार के ऐसे निर्णय से किसी प्रकार के जनहित की पूर्ति नहीं होती है। जिसकी सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एसएन शुक्ला की बेंच ने इन रिटायर अफसरों को महत्वपूर्ण पदों पर बनाए रखने के औचित्य को लेकर मुख्य सचिव से जवाब तलब किया था। इस पर तत्कालीन सरकार ने कहा कि इन अफसरों के सेवा से हटने के बाद एक्स कैडर पोस्ट बनाकर उन पर उन्हें नियुक्त किया गया है। और बाद में उन्हें सेवा विस्तार भी दिया गया है, जिसमें कुछ भी नियम के खिलाफ नहीं है।

 अदालत के तबके सवाल आज भी हैं प्रासंगिक

तब हाईकोर्ट ने तत्कालीन सपा सरकार के जवाब से असहमति जताते हुए सवाल पूछा था कि क्या सरकार का यह कृत्य कानून सम्मत है, क्या वित्त विजिलेंस और सचिवालय प्रशासन जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रिटायर्ड अफसरों को तैनात किया जाना उचित है। हाईकोर्ट ने कहा था कि सिविल सेवा रेगुलेशन के पैरा 520 के तहत रिटायरमेंट के बाद केवल जनहित के आधार पर ही आईएएस को सेवा विस्तार दिया जा सकता है। और यदि उसने केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर काम किया हो तो ऐसे मे तो सेवा विस्तार से पहले केंद्र का संदर्भ भेजना जरूरी है। कोर्ट ने ये भी कहा था कि सेवा विस्तार देने का सरकार का अधिकार निरंकुश नहीं है।

 पिछले साल दिल्ली में नरेश कुमार का बतौर मुख्य सचिव कार्यकाल जब छह महीने के लिए बढ़ाया गया था तब उसके खिलाफ आम आदमी पार्टी की सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी। शीर्ष अदालत ने सेवा विस्तार के पक्ष में तो फैसला सुनाया पर ये टिप्पणी भी की कि, "आप नियुक्ति करना चाहते हैं, करें लेकिन क्या आपके पास कोई और अधिकारी नहीं है जो मुख्य सचिव बन सके। क्या आप फंस गए हैं?”

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