Friday 22nd of November 2024

UP: पुराने अध्यादेश के मुकाबले धर्मांतरण का नया कानून है अधिक सख्त व असरदार

Reported by: Gyanendra Shukla  |  Edited by: Rahul Rana  |  July 31st 2024 11:29 AM  |  Updated: July 31st 2024 11:29 AM

UP: पुराने अध्यादेश के मुकाबले धर्मांतरण का नया कानून है अधिक सख्त व असरदार

ब्यूरो: लव जिहाद के खिलाफ मुहिम छेड़ने वाले देश के दस राज्यों वाली फेहरिस्त में अब यूपी का भी नाम जुड़ गया है। इस संबंध में नए प्रावधानों को यूपी विधानमंडल के मानसून सत्र में मंजूरी दे गई है। योगी सरकार द्वारा लाए गए नए कानून के बाद जबरन धर्म परिवर्तन के दोषियों के लिए उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया गया है, साथ ही धर्मांतरण के लिए विदेश से होनी वाली फंडिंग पर भी अंकुश लगाने के लिए भी सख्त प्रावधान किए गए हैं।

नए प्रावधान में अब धर्मांतरण के दोषी को मिल सकती है उम्रकैद की सजा

उत्तर प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र के दूसरे दिन विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक-2024 को सदन ने मंजूरी दे दी। नए प्रावधानों में किसी नाबालिग, दिव्यांग या मानसिक रूप से दुर्बल व्यक्ति, महिला, अनुसूचित जनजाति का धर्म परिवर्तन कराया जाना सिद्ध हो जाता है तो दोषी को उम्रकैद की सजा और एक लाख रुपये जुर्माने से दंडित किया जाएगा। सामूहिक धर्मांतरण पर भी उम्रकैद की सजा और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा मिलेगी।

विदेशी मुल्कों से आ रही फंडिंग पर नकेल कसने के इंतजाम

विदेशी या अवैध संस्थाओं से फंडिंग हासिल करने पर 14 वर्ष तक की सजा और 10 लाख जुर्माने का प्रावधान किया गया है। यदि कोई धर्म परिवर्तन के लिए किसी व्यक्ति के जीवन या संपत्ति को भय में डालता है, हमला या बल प्रयोग करता है, शादी करने का झूठा वादा करता है, प्रलोभन देकर किसी नाबालिग, महिला या व्यक्ति की तस्करी करता है, तो उसे न्यूनतम 20 साल की सजा होगी। इसे उम्रकैद में भी बदला जा सकता है। न्यायालय पीड़ित के इलाज के खर्च और पुनर्वास के लिए धनराशि जुर्माने के रूप में तय कर सकेगी।

पुराने अध्यादेश के जरिए ही योगी सरकार ने जता दी थी अपनी मंशा

चार वर्ष पूर्व नवंबर, 2020 को योगी सरकार ने  'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020' लागू किया था। राज्यपाल द्वारा इस विधेयक को स्वीकृति मिलने के चंद घंटों के भीतर ही बरेली के देवरनियां क्षेत्र के शरीफनगर गांव के एक किसान की तहरीर पर इस कानून के तहत पहला मुकदमा दर्ज किया गया था। किसान का आरोप था कि गांव का एक शख्स उसकी बेटी पर जबरन धर्म परिवर्तन का दबाव बना रहा है। इसके बाद फरवरी 2021 में प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों से इस विधेयक पारित किया गया था, जिसके बाद उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम-2021 को विधिक मान्यता हासिल हो गई थी।

पुराने अध्यादेश के मुकाबले नया कानून अधिक सख्त व प्रभावी

तबके कानून के मुताबिक दोषियों को दस वर्ष की सजा का ही प्रावधान था पर अब ये सजा ताउम्र जेल की सलाखों की हो सकती है। जाहिर है ताजा संशोधन के जरिए धर्मांतरण कानून को और अधिक सख्त व प्रभावी बनाया गया है। ऐसे कृत्यों से जुड़े सभी अपराधों को गैर जमानती बनाते हुए जमानत के आवेदन पर पहले लोक अभियोजक का पक्ष सुने जाने की व्यवस्था भी की गई है। इनका विचारण सेशन कोर्ट से नीचे नहीं होगा। गंभीर अपराधों के मानिंद अब कोई भी व्यक्ति धर्मांतरण के मामले में एफआईआर दर्ज करा सकेगा। पहले मतांतरण से पीड़ित व्यक्ति, उसके स्वजन अथवा करीबी रिश्तेदार की ओर से ही एफआईआर दर्ज कराने की व्यवस्था की गई थी।

यूपी से पहले कई अन्य राज्यों में लागू हो चुका है मतांतरण से जुड़ा कानून

बीते साल तक देश के दस राज्यों में जबरन धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किया जा चुका है। यूपी के साथ साथ साथ उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा, गुजरात, झारखंड, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और ओडिशा में ये कानून लागू हो चुका है। छत्तीसगढ़ में बीजेपी नेताओं ने कहा था कि उनके राज्य में धर्म परिवर्तन के कारण जनसांख्यिकीय परिवर्तन हुआ है। ऐसे में कानून बनने के बाद जबरन धर्मांतरण पर रोक लग सकती है। बीते साल अगस्त में महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून लाने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि दूसरे सूबों के धर्मांतरण विरोधी कानूनों का अध्ययन किया जा रहा है, जल्द ही एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) लाई जाएगी।

नए कानून को लेकर सत्ता पक्ष और  विपक्ष की प्रतिक्रिया

नए विधेयक के पारित होने के बाद समाजवादी पार्टी के नेता फखरुल हसन चांद ने टिप्पणी करते हुए कहा कि बीजेपी केवल नकारात्मक राजनीति करना चाहती है। ये ध्यान भटकाने वाले मुद्दे हैं। इनसे लोगों का कोई भला नहीं होगा। वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि धर्मांतरण और गुमराह कर शादी को लेकर पूर्व में ही कानून बने हुए हैं, नए कानून का कोई औचित्य नहीं है। हालांकि योगी सरकार के मुताबिक गुमराह कर शादी करने और अनुसूचित जाति व जनजाति (एससी- एसटी) के जबरन धर्म परिवर्तन के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इन्हीं मामलों पर राज्य सरकार अंकुश लगाने जा रही है। बीजेपी प्रवक्ता आलोक अवस्थी के मुताबिक ये संशोधन विधेयक जबरन धर्म परिवर्तन के घृणित अपराध पर प्रभावी अंकुश लगाने के मकसद से लाया गया है। इसके जरिए विदेशी एवं राष्ट्रविरोधी ताकतों की सुनियोजित साजिश पर भी लगाम लगाई जा सकेगी।

बहरहाल, तमाम बहस मुबाहिसा के बीच विधानसभा से पारित धर्मांतरण विधेयक अब विधान परिषद से पारित कराया जाएगा। उच्च सदन से इसे मंजूरी मिलने के बाद राज्यपाल के बास विधेयक भेजा जाएगा। फिर से राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। जहां से हरी झंडी मिलने के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा। 

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