Wednesday 3rd of July 2024

UP: जानें फतेहपुर सीकरी संसदीय सीट पर कौन मारेगा बाजी....

Reported by: PTC News उत्तर प्रदेश Desk  |  Edited by: Rahul Rana  |  April 12th 2024 10:16 AM  |  Updated: April 14th 2024 10:13 AM

UP: जानें फतेहपुर सीकरी संसदीय सीट पर कौन मारेगा बाजी....

ब्यूरो: यूपी के ज्ञान में आज चर्चा करेंगे फतेहपुर सीकरी संसदीय सीट की। आगरा जिले का नगरपालिका बोर्ड फतेहपुर सीकरी ऐतिहासिक विरासत को आज भी संजोए हुए है। 12वीं शताब्दी में यहां शुंग वंश और बाद में सिकरवार राजपूतों का शासन रहा। बाद में सुल्तान वंश और खिलजी शासकों का भी यहां कब्जा रहा। फिर मुगलिया सल्तनत के आधीन हो गया।

अकबर के शासनकाल में पन्द्रह वर्षों तक ये रही थी राजधानी

मुगल बादशाह अकबर के शासनकाल में 1571 से 1585 तक ये क्षेत्र मुगल साम्राज्य की राजधानी रहा। माना जाता है कि 1586 में इस शहर में पानी की किल्लत के चलते राजधानी को फतेहपुर सीकरी से लाहौर और फिर दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया। सम्राट अकबर सलीम चिश्ती के अनुयायी थे। अकबर को भरोसा था कि सलीम चिश्ती के आशीर्वाद से ही उसके पुत्र सलीम यानि जहांगीर का जन्म हुआ। जहांगीर के दूसरे जन्मदिन पर अकबर ने एक शाही महल का निर्माण शुरू किया, जिसमें फतेहाबाद और सिकरीपुरी नाम शामिल था। इस तरह फतेहाबाद को फतेहपुर सीकरी नाम दे दिया गया।

भव्य निर्माण का बेजोड़ उदाहरण है बुलंद दरवाजा

1580 के आसपास फतेहपुर सीकरी में हुए भव्य निर्माण पर हिंदू और मुगल वास्तुकला दोनों शैलियों का मिलाजुला असर नजर आता है। फ़तेहपुर सीकरी में अकबर के समय के अनेक भवनों, प्रासादों तथा राजसभा के भव्य अवशेष आज भी वर्तमान हैं। यहाँ की सर्वोच्च इमारत बुलंद दरवाज़ा है, जिसकी ऊंचाई भूमि से 280 फुट है। 52 सीढ़ियों के पश्चात दर्शक दरवाजे के अंदर पहुंचता है। दरवाजे में पुराने जमाने के विशाल किवाड़ ज्यों के त्यों लगे हुए हैं। बुलंद दरवाजे को अकबर ने 1602 इस्वी में अपनी गुजरात-विजय के स्मारक के रूप में बनवाया था। इसी दरवाजे से होकर शेख की दरगाह में प्रवेश करना होता है। बाईं ओर जामा मस्जिद है और सामने शेख की मज़ार।  मस्जिद और मज़ार के समीप एक घने वृक्ष की छाया में एक छोटा संगमरमर का सरोवर है।

पर्यटकों के पसंदीदा स्मारक

आंख मिचौली, दीवान-ए-खास, बुलंद दरवाजा, पांच महल, ख्वाबगाह, जोधा बाई का महल,शेख सलीम चिश्ती के पुत्र की दरगाह, शाही मसजिद, अनूप तालाब फतेहपुर सीकरी के प्रमुख स्मारक हैं। दीवान-ए-खास वही जगह है जहां औरंगजेब की कैद में शाहजहां ने अपनी जिंदगी के आखिरी सात साल बिताए थे। कहा जाता है कि उस समय यहां से ताज का सबसे खूबसूरत नजारा दिखाई पड़ता था।

इस क्षेत्र में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेई का बचपन बीता

फतेहपुर सीकरी संसदीय सीट का हिस्सा है बाह विधानसभा। जहां के बाबा बटेश्वर नाथ मंदिर की खासी मान्यता है। इसी बाह में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई का बचपन गुजरा था। 

सोलह वर्ष पहले अस्तित्व में आई ये संसदीय सीट

साल 2008 में परिसीमन के बाद फतेहपुर सीकरी सीट अस्तित्व में आई। यहां पर साल 2009 में पहली बार चुनाव कराया गया। जिसमें बीएसपी के कद्दावर नेता रामवीर उपाध्याय की पत्नी सीमा उपाध्याय ने कांग्रेस उम्मीदवार और चर्चित बॉलीवुड कलाकार  राज बब्बर को मात दी थी। तब बीजेपी के प्रत्याशी और भदावर राज घराने के राजा महेंद्र अरिदमन सिंह तीसरे पायदान पर रहे थे। सपा के रघुराज सिंह शाक्य चौथे पायदान पर जा पहुंचे थे।

मोदी लहर में बीजेपी का हुआ कब्जा

साल 2014 के चुनाव में फतेहपुर सीकरी की जनता ने चुनावी तस्वीर ही बदल दी। बीजेपी प्रत्याशी चौधरी बाबूलाल ने बीएसपी से चुनाव लड़ रही सीमा उपाध्याय को हरा दिया। तब बीजेपी के बाबूलाल चौधरी ने बीएसपी की उम्मीदवार और सांसद सीमा उपाध्याय को 1,73,106 वोटों के मार्जिन से मात दी थी। तत्कालीन राजनीति के चर्चित चेहरों में शामिल अमर सिंह राष्ट्रीय लोक दल के टिकट पर चुनाव लड़े थे लेकिन  चौथे पायदान पर रह गए।

पिछले आम चुनाव में फिर इस सीट पर बीजेपी का परचम फहराया

साल 2019 के चुनाव में इस सीट पर बीजेपी के राजकुमार चाहर को चुनाव मैदान में उतारा था। उनके मुकाबले के लिए सपा-बीएसपी गठबंधन के तहत बीएसपी से भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित चुनाव मैदान में थे। कांग्रेस की ओर से राज बब्बर ताल ठोक रहे थे। पर राजकुमार चाहर को रेकार्ड 667,147 वोट हासिल हुए। जबकि राज बब्बर को 1,72,082 वोट मिल सके। वहीं भगवान शर्मा 1,68,043 वोट पाकर तीसरे पायदान पर रहे। इस चुनाव में बीजेपी ने 4,95,065 वोटों के बड़े मार्जिन से चुनाव जीता था।

जातीय-सामाजिक समीकरण का तानाबाना

इस संसदीय सीट पर वोटरों की तादाद 18 लाख से अधिक है। सर्वाधिक साढ़े तीन लाख क्षत्रिय बिरादरी के वोटर हैं। ढाई लाख ब्राह्मण तो दो लाख जाट हैं।  पौने दो लाख लोधी व  1.40 लाख जाटव वोटर्स हैँ। इनके साथ ही निषाद, कुशवाहा और वैश्य बिरादरी भी मौजूद हैं। साथ ही मुस्लिम वोटर भी प्रभावी तादाद में हैं।

साल 2022 के विधानसभा चुनाव की तस्वीर

फतेहपुर संसदीय सीट के तहत पांच विधानसभाएं आती हैं, आगरा ग्रामीण, फतेहपुर सीकरी, बाह, फतेहाबाद और खेरागढ़। इसमें फतेहाबाद, खेरागढ़ और बाह विधानसभा सीटें  पहले फिरोजाबाद संसदीय सीट का हिस्सा थीं, जबकि फतेहपुर सीकरी विधानसभा सीट पहले आगरा लोकसभा क्षेत्र में आती थी। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में इन सभी विधानसभा सीटों पर बीजेपी को जीत हासिल हुई। आगरा ग्रामीण (सुरक्षित) से बेबी रानी मौर्य, फतेहपुर सीकरी से बाबूलाल चौधरी, खैरागढ़ से भगवान सिंह कुशवाहा, फतेहाबाद से छोटेलाल वर्मा और बाह से रानी पक्षालिका सिंह विधायक हैं।

साल 2024 के चुनाव की चौसर सज चुकी है

यहां की चुनावी बिसात पर बीजेपी ने फिर से राजकुमार चाहर पर ही दांव लगाया है। यहां से बीजेपी जीत की हैट्रिक लगाने की उम्मीदें संजोए है। तो कांग्रेस-सपा गठबंधन के तहत ये सीट कांग्रेस के खाते में है। कांग्रेस ने रामनाथ सिकरवार को प्रत्याशी बनाया है। बीएसपी की ओर से रामनिवास शर्मा चुनाव मैदान में हैं। आज से बाईस वर्ष पूर्व 2002 के विधानसभा चुनाव में फतेहपुर सीकरी विधानसभा क्षेत्र से राजकुमार चाहर बीएसपी उम्मीदवार थे तो राम निवास शर्मा निर्दलीय चुनाव लड़े थे। हालांकि दोनों ही हार गए थे तब रालोद से बाबूलाल जीते थे। राजकुमार चाहर दूसरे और रामनिवास शर्मा तीसरे पायदान पर रहे थे। अब फिर से ये दोनों आमने सामने हैं तो बीएसपी उम्मीदवार की मौजूदगी से चुनावी टक्कर त्रिकोणीय रूप ले चुकी है। 

PTC NETWORK
© 2024 PTC News Uttar Pradesh. All Rights Reserved.
Powered by PTC Network