Sunday 8th of September 2024

बेरूखी-तल्खी-अदावत-शिकवा-शिकायत से घिरी यूपी BJP, क्या कल्याण सिंह के दौर की गाथा फिर से दोहरायी जा रही है!!

Reported by: Gyanendra Shukla  |  Edited by: Deepak Kumar  |  July 18th 2024 11:34 AM  |  Updated: July 18th 2024 11:34 AM

बेरूखी-तल्खी-अदावत-शिकवा-शिकायत से घिरी यूपी BJP, क्या कल्याण सिंह के दौर की गाथा फिर से दोहरायी जा रही है!!

ब्यूरोः यूपी में बीजेपी की प्रदेश कार्यसमिति की रविवार  को हुई बैठक के बाद से जो कुछ  भी घट रहा है उससे साफ संदेश निकल रहा है कि देश के इस सबसे बड़े सूबे में सबसे बड़ी पार्टी में सबसे बड़ी दिक्कतें पनप चुकी हैं। दरअसल, कार्यसमिति की बैठक के दौरान ही डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य द्वारा बयान के म्यान से निकालकर तल्खी की तलवार लहरा दी गई। सांकेतिक तौर से संगठन को सरकार से बड़ा बताने और कार्यकर्ताओं का के दर्द इजहार करने वाला बयान देकर उन्होंने तमाम संकेत और संदेश दे दिए। 

मंगलवार को डिप्टी सीएम और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के दिल्ली दौरे से बढ़ी सरगर्मी

 चूंकि सत्ता व सियासत की अंकगणित में कुछ भी बेवजह नहीं होता है, हर बात-हर मुद्दे के पीछे मकसद छिपा होता है, लिहाजा केशव प्रसाद मौर्य के मौजूदा रुख और बयानों के निहितार्थ खोजे जाने लगे हैं। मंगलवार को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी दिल्ली पहुंचे, जहां पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से अलग-अलग मुलाकात की। लगातार जारी इन घटनाक्रमों के चलते सूबे में सत्ता के  गलियारों में  हलचल मच गई है।

 डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के तल्ख तेवर लगातार जारी

बीते एक महीने में यूपी में सीएम योगी की अगुवाई में दो कैबिनेट बैठक हुईं जिनमें डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य नदारद रहे। लोकसभा चुनाव में मिली हार को लेकर जब संगठन और सरकार के स्तर पर सीएम योगी की ओर से बुलाई गई उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में भी केशव प्रसाद मौर्य ने भागीदारी नहीं की थी। इसी के बाद से उनकी नाराजगी की सुगबुगाहट छनछन के उजागर होने लगी थी। पर खुद केशव मौर्य ने पूरी तरह से खामोशी अख्तियार कर ली, न तो कोई इस संबंध में बयान दिया और न ही सोशल मीडिया में इस के बाबत कोई पोस्ट की।

प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में केशव मौर्य ने लीक से हटकर बयान देकर चुप्पी तोड़ी

चूंकि आम चुनाव के नतीजे आने के  बाद से ही यूपी में बीजेपी कार्यकर्ताओं में हताशा पनपी हुई है। ऐसे में पार्टी जनों को आस थी कि रविवार को लखनऊ में आयोजित बीजेपी कार्यसमिति की  बैठक में उनकी निराशा की वजहों पर चर्चा होगी, उनके दर्द के कारणों को टटोला जाएगा। पर इस पर चर्चा के बजाए पार्टी  के दिग्गज नेताओं ने रटे रटाए अंदाज में आगामी चुनावी चुनौतियों की तैयारियों में जुटने की अपील की, ऐसे में केशव प्रसाद मौर्य का भाषण ही ऐसा था जिसमें खुद को कार्यकर्ताओं की मायूसी से जोड़ा गया, मौर्य ने कहा, “जो आपका दर्द है, वही मेरा भी दर्द है। हमारे लिए एक-एक कार्यकर्ता हमारा गौरव है”। कार्यकर्ताओं की तालियां बटोरने वाले इस बयान के जरिए मौर्य ने बीते कई दिनों की चुप्पी तोड़कर भीतर की टीस को तो जगजाहिर कर दिया पर सियासी हलचल को न्योता भी दे दिया।

 डिप्टी सीएम की एक्स पोस्ट ने खोला विवादों का पिटारा

मंगलवार को दिल्ली में हुई बैठकों और शिकवे शिकायत सुनने के बाद केंद्रीय नेतृत्व ने दो टूक समझाया था कि यूपी बीजेपी के नेताओं के अगर कोई शिकायत है तो वह पार्टी फोरम के अंदर ही शिकायत करें। पब्लिक प्लेटफॉर्म पर कोई बयानबाजी नहीं करें और न ही इसे बर्दाश्त किया जाएगा। पर बुधवार को केशव प्रसाद मौर्य के आधिकारिक एक्स हैंडल ऑफिस ऑफ केशव प्रसाद मौर्य (Office of Keshav Prasad Maurya ) से पोस्ट करते हुए फिर से पुराने बयान को दोहराते हुए लिख दिया गया संगठन सरकार से बड़ा है. कार्यकर्ताओं का दर्द मेरा दर्द है. संगठन से बड़ा कोई नहीं, कार्यकर्ता ही गौरव है। चूंकि ठीक इसी समय लखनऊ में अपने सरकारी आवास पर सीएम योगी ने दस विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तैयारियों को लेकर प्रभारी मंत्रियों की बैठक बुलाई थी। ऐसे में डिप्टी सीएम की पोस्ट में दोहराए गए पुराने बयान ने तूल पकड़ गया। समाजवादी पार्टी की मीडिया सेल ने एक्स पर पोस्ट करके केशव मौर्य पर तीखा हमला किया और उन पर सीएम योगी की कुर्सी हिलाने का आरोप लगाया। 

 केशव प्रसाद मौर्य के मन में  सीएम योगी को लेकर तल्खी है पुरानी

 साल 2017 के विधानसभा चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष थे। तब पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए प्रचंड जीत हासिल की थी और समाजवादी पार्टी को सत्ता से अपदस्थ कर दिया था। तब केशव मौर्य को सीएम बनने की रेस में शामिल माना जा रहा था हालांकि तमाम ऊहापोह-मंथन के बाद केंद्रीय नेतृत्व ने सीएम योगी के हाथों में यूपी की कमान सौंप दी, केशव मौर्य को डिप्टी सीएम के पद से संतोष करना पड़ा था। सियासी विश्लेषक मानते हैं कि यहीं से मनभेद की नींव पड़ गई थी। साल 2022 में बीजेपी को बड़ी जीत मिली पर सिराथू सीट से केशव मौर्य चुनाव हार गए। उनके समर्थकों ने इस हार को पार्टी की आपसी खेमेबाजी को वजह माना था। हालांकि हारने के बावजूद मौर्य को दोबारा डिप्टी सीएम बना दिया गया था लेकिन उनके मन की फांस बरकरार रही। यही मनमुटाव अब उभर कर दिखने लगा है। 

बीजेपी में जारी उठापटक-रस्साकशी के दौर पर सियासी विश्लषकों की प्रतिक्रिया

वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्रा कहते हैं कि नब्बे के दशक में कल्याण सिंह के दौर में यूपी बीजेपी में जो कुछ चल रहा था कमोबेश वही दोहराया जा रहा है। दिल्ली तक की दौड़ हो रही है,  अटकलें लग रही हैं-अफवाह फैल रही हैं। तब भी इसकी वजह से सरकार के स्थायित्व को लेकर संशय बढ़ा था अब भी वैसी ही परिस्थितियां बन रही हैं, इस विषम परिस्थिति में केंद्रीय नेतृत्व को तुरंत सक्रिय होकर अटकलों पर विराम लगाना चाहिए, चूंकि संगठन और सरकार दो एलीमेंट हैं, इनमें संवाद-समन्वय नहीं हुआ तो बीजेपी को नतीजे भुगतने पड़  सकते हैं। वहीं, बीजेपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी कहते हैं कि ऐसे वक्त में जब हमें एकजुटता के साथ विपक्ष का मुकाबला करना चाहिए था तब हो रहे घटनाक्रम दुर्भाग्यपूर्ण हैं, जल्द उपाय न किए गए  उपचुनाव में मुश्किल तो बढ़ेगी ही साथ ही पार्टी के मिशन-2027 की राह भी कांटो भरी हो सकती है।

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